दीपावली के बाद अब छठ महापर्व आगाज़ हो गया है। छठ की शुरुआत आज नहाय-खाय के साथ हो गयी है, राजधानी दून में विभिन्न स्थानों पर नहाय-खाय और छठ मइया का पूजन होगा। महापर्व को लेकर पूर्वा सांस्कृतिक मंच और बिहारी महासभा की ओर से विभिन्न आयोजन किए जाएंगे। यह पर्व चार दिन तक चलता है, छठ को लेकर पूर्वांचल मूल के लोग खासे उत्साहित हैं।
छठ व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष स्नान और सात्विक भोजन के बाद व्रत शुरू करेंगे। व्रती लौकी, अरहर की दाल और कच्चा (अरवा) चावल के भात का भोजन करेंगे। वहीं, छठ पर्व के समापन के बाद ही व्रती नमक युक्त भोजन करेंगे। बता दें की छठ पर्व के तहत मंगलवार को घाटों पर मुख्य छठ पूजा होगी।
जानिए छठ पूजा का महत्व …
छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 8 नवंबर से हो गयी है… छठ एकमात्र त्यौहार है, जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। पहली शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ अगली सुबह अर्घ्य देकर व्रत सम्पूर्ण होता है। यही वजह है की सूर्योपासना के इस पर्व को सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। 8 नवंबर को नहाय-खाए से छठ पूजा प्रारंभ होगी। 9 नवंबर को खरना, 10 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य व 11 को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ पूजा का समापन होगा।
खरना वाले दिन महिलाएं व्रत रखती है, रात में खीर खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है। खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। खरना के अगले दिन छठ मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है। दून में मालदेवता, टपकेश्वर, नेहरु कॉलोनी रिस्पना पुल, नंदा की चौकी, नेहरुग्राम, प्रेमनगर, पटेलनगर, निरंजनपुर, माजरा, क्लेमउनटाउन आदि जगहों पर छठ पूजा के घाट बने हुए हैं। जहां पर बिहारी महासभा, पूर्वा सांस्कृतिक मंच समेत अन्य सामाजिक संगठन छठ पूजा की सार्वजनिक रुप से व्यवस्थाएं करते हैं। पिछली दफा कोविड के कारण बेहद सीमित रुप से इस उत्सव को मनाया गया था। लेकिन इस बार छठ पर अच्छी भीड़ भाड़ रहने की उम्मीद है।
– नहाय-खाय : छठ पर्व का प्रथम दिन नहाए खाय से शुरू होता है। नहाए-खाय आठ नवंबर को है।
– खरना : छठ व्रत का दूसरा दिन खरना नौ नवंबर को हैं। इस दिन पंचमी तिथि है। इसके बाद षष्ठी शुरू होगी।
– सायंकालीन अर्घ्य : छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल पष्ठी को पूर्ण उपवास होता है। यह व्रत दस नवंबर को है।
– प्रात कालीन अर्घ्य : पष्ठी व्रत की पूर्णाहुति चतुर्थ दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होती है। 11 नवंबर को प्रातकालीन अर्घ्य दिया जाता है।