उत्तराखण्ड सहित पांच राज्यों में तय समय पर ही होंगे विधानसभा चुनावःCEC सुशील चंद्रा
दिल्ली- चुनाव आयोग ने 2022 में उत्तराखण्ड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव तय समय पर कराये जाने की बात कही है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने भरोसा जताया है कि 2022 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव आयोग तय समय पर करा लेगा। चंद्रा ने कहा है कि कोरोनाकाल में हुये हालिया विधानसभा चुनावों से आयोग को काफी अनुभव मिला है। इस अनुभव की आगामी विधानसभा चुनावों को संपन्न कराने में मदद मिलेगी। जबकि इस बीच खबरें यह भी उठ रहीं थीं कि कोरोना महामारी और राजनीतिक कारणों के चलते राज्यों के विधानसभा चुनाव आगे-पीछे हो सकते हैं।
2022 में उत्तराखण्ड, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तर प्रदेश की विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। जिसमें से गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखण्ड का की विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में पूरा होगा। जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल मई में पूरा होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने एक इंटरव्यू में कहा है कि आयोग सभी पांच राज्यों में तय समय पर चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि विधानसभाओं का कार्यकाल पूरा होने से पहले विजयी उम्मीदवारों की सूची राज्यपालों को सौंप दी जाए।
इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त से पूछा गया कि कोविड-19 के चलते क्या आयोग आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को समय पर करा पाएगा? क्योंकि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते कुछ लोकसभा और विधानसभाओं के उप चुनावों को टाल चुका है। जिसके जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कोरोना महामारी की दूसरी लहर कम पड़ रही है। जबकि हमने बिहार के बाद चार राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में चुनाव कराए हैं। आयोग के पास कोरोना महामारी के बीच चुनाव कराने का अनुभव है। चंद्रा ने कहा कि उन्हें लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर जल्द खत्म होगी और आयोग सभी पांच राज्यों में समय पर चुनाव संपन्न करा लेगा।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जहां भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारें हैं, वहीं पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। चुनाव आयोग के 1 जनवरी, 2021 के आंकड़ों के अनुसार, देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में लगभग 14.66 करोड़ मतदाता हैं। जबकि पंजाब में 2 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। उत्तराखंड में 78.15 लाख मतदाता हैं। और मणिपुर में 19.58 लाख और गोवा में 11.45 लाख मतदाता हैं। पांचों राज्यों में एक साथ अनुमानित 17.84 करोड़ मतदाता हैं। पिछले साल हुए बिहार चुनावों से पहले, चुनाव आयोग ने “कोविड-मुक्त” चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए थे। जैसे कि 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और कोविड-19 से पीड़ित लोगों को डाक मतपत्र का उपयोग करने और मतदाताओं की संख्या को कम करने की अनुमती दी गई थी।
दूरी के मानदंडों को सुनिश्चित करने के लिए प्रति मतदान केंद्र 1500 से 1000 तक संख्या की गई। चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में मतदान केंद्रों की संख्या में लगभग 80,000 की वृद्धि हुई थी। क्योंकि प्रति मतदान केंद्र में मतदाताओं की कम संख्या की अनुमति थी। पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के चुनावों में भी यही सिद्धांत अपनाए गए थे। हालांकि यह पाया गया कि चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल में कोविड सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन किया गया। चुनाव आयोग ने राज्य में रोड शो और वाहन रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया था और सार्वजनिक सभाओं में लोगों की अधिकतम स्वीकार्य संख्या 500 पर सीमित कर दी थी। यह फैसला तब लिया गया जब पश्चिम बंगाल में अंतिम कुछ चरणों में मतदान होना बाकी था।