Saturday, May 18, 2024
उत्तराखंड

उत्तराखंड में आनंद कारज एक्ट को मंजूरी:इस अधिनियम को लागू करने वाला 10वां राज्य बना

उत्तराखंड सरकार भी अब सिख मर्यादा के तहत होने वाली शादियों को आनंद कारज एक्ट के तहत पंजीकृत करेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस फैसले के बाद उत्तराखंड देश का 10वां राज्य बन गया है। बैठक में सभी धर्मों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।

उत्तराखंड की कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक इसमें आनंद विवाह अधिनियम के तहत होने वाली शादियों को भी शामिल किया गया है। जिससे सिख समुदाय के लोग भी रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट ने उत्तराखंड सरकार के इस फैसले की सराहना की है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी इस पर खुशी व्यक्त की है।
गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब प्रबंधन ट्रस्ट के अध्यक्ष नरिंदर जीत सिंह बिंद्रा ने कहा- उत्तराखंड कैबिनेट द्वारा पारित लंबे समय से लंबित विधेयक जो अब आनंद विवाह अधिनियम के तहत सिख शादियों के पंजीकरण की अनुमति देता है, उत्तराखंड में रहने वाले पूरे सिख समुदाय के लिए एक बहुत ही प्रशंसनीय कदम है।

क्या है आनंद विवाह एक्ट
सिख धर्म में शादी करने के लिए मान्यता के अनुसार ‘आनंद’की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म को सिख धर्म के तीसरे गुरु, गुरु अमरदास जी ने शुरू किया था। गुरु अमरदास जी ने ही 40 छंद लंबी बानी आनंदु की रचना की थी। इसे धार्मिक महत्व के सभी अवसरों और विवाह समारोहों के दौरान गाया जाता है। आनंद मैरिज एक्ट को पंजाब सरकार ने भी अलग कानून बनाकर मान्यता दी है।

1909 में बना, पर लागू ना हो पाया
पहली बार आनंद मैरिज एक्ट को 1909 में ब्रिटिश काल में बनाया गया था। लेकिन उस वक्त किसी वजह से इस एक्ट को लागू नहीं किया जा सका। साल 2007 में जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मों के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया तो सिख समुदाय ने भी आनंद मैरिज एक्ट को लागू करने की मांग उठाई। इससे पहले तक सिखों समुदाय के लोगों की शादियां हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर की जाती थी।

आनंद मैरिज एक्ट में पहले कई बार बदलाव भी किए जा चुके हैं। 7 जून 2012 को आनंद विवाह अधिनियम 1909 में संशोधन करते हुए दोनों सदनों ने आनंद विवाह संशोधन विधेयक 2012 को पारित किया था। इस अधिनियम के तहत सिख पारंपरिक विवाहों को मान्य करने के लिए आनंद का पंजीकरण अनिवार्य होगा। फिलहाल ये आनंद मैरिज एक्ट भारत के 11 राज्यों में लागू हो चुका है।

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