Saturday, April 27, 2024
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Mahant Narendra Giri Death: जानिए कौन थे विवादों से घिरे महंत नरेंद्र गिरी

-आकांक्षा थापा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित मठ बाघंबरी गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। उनका शव सोमवार को उनके बेडरूम में पंखे से लटकता मिला। महंत नरेंद्र गिरी के अंतिम दर्शन के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी प्रयागराज के बाघंबरी मठ पहुंचे। महंत नरेंद्र गिरी को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने मठ के साधुओं से घटना के सिलसिले में बातचीत भी की। इसके बाद सीएम योगी ने कहा कि हर घटना का पर्दाफाश होगा, जो भी दोषी होगा वो नहीं बचेगा। वहीं, महंत नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद गिरी को पुलिस ने हरिद्वार में गिरफ्तार कर लिया है और अब उनको प्रयागराज लाया जा रहा है। फिलहाल पुलिस भी मामले की जाँच पड़ताल में लगी है।

महंत नरेंद्र गिरी का बचपन- महंत नरेंद्र गिरी बचपन से ही जुझारू प्रवत्ति के व्यक्ति थे… महज 11 वर्ष की उम्र से ही महंत गिरी ने धर्म और अध्यात्म के रास्ते पर चलना शुरू कर दिया था.. आपको बता दें वह लंबे समय तक राम मंदिर आन्दोलन से भी जुड़े रहे है… वहीँ, महंत गिरी प्रयागराज के बाघंबरी मठ के महंत और संगम किनारे प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में कार्यरत रहे…

प्रयागराज कुंभ मेले में भी रही मुख्य भूम‍िका- महंत नरेंद्र गिरी ने प्रयागराज में हुए कुंभ मेले में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.. चूंकि महंत गिरी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे तो कुंभ मेलों के दौरान कौन-सा अखाड़ा कब स्नान करेगा यह सब जिम्मेदारी अखाड़ा परिषद ही तय करती थी… कुंभ मेले के दौरान उन्होंने व्यवस्थाओं को लेकर शासन और प्रशासन का मार्गदर्शन भी किया था.. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी रहे महंत गिरी देखा जाये तो महंत नरेंद्र गिरी को अखाड़ों से कुछ ज्यादा ही लगाव था… यही वजह थी की महंत नरेंद्र गिरि का निरंजनी अखाड़े से खास जुड़ाव था.. उन्होंने निरंजनीअखाड़े के सचिव के तौर पर भी काम किया था… महंत नरेंद्र गिरी को साल 2015 में सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष भी चुना गया था.. इसके बाद साल 2019 में फिर से उन्हें दोबारा अध्यक्ष चुना गया था।

महंत गिरी का विवादों से रहा है गहरा नाता- महंत नरेंद्र गिरी अक्सर अपने तीखे बयानों के कारण सुर्ख़ियों में बने रहते थे. महंत नरेंद्र गिरी का उनके शिष्य से भी विवाद हो गया था जिसके चलते महंत गिरी ने अपने शिष्य को मठ से बाहर निकाल दिया था. हालांकि बाद में अखाड़ा परिषद की मध्यस्थता के बाद महंत के शिष्य को वापस बुला लिया गया था. महंत गिरी का स्वभाव बेबाक टिप्पणी करने वाला था. जिस कारण संतों को संभालने की जिम्मेदारी महंत गिरी को दी गयी थी.. साल 2012 में महंत गिरी का सपा नेता और हंडिया से विधायक रहे महेश नारायण सिंह के साथ भी विवाद हुआ था. साथ ही महंत गिरी का सचिन दत्ता नाम के रियल स्टेट व्यवसायी को महामंडलेश्वर की उपाधि देने पर भी जोरदार विवाद हुआ था। साथ ही महंत गिरी पर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरी की संदिग्ध परिस्थित में हुयी मौत को लेकर भी सवाल खड़े किये गए थे…

किस बात के चलते शिष्य आनंद गिरी से था विवाद- महंत नरेंद्र गिरी के शिष्य आनंद गिरी ने मठ और हनुमान मंदिर से होने वाली करोड़ों रुपये की आमदनी में हेरफेर समेत कई गंभीर आरोप महंत गिरी पर लगाए थे. आनंद गिरि के इस बर्ताव के चलते महंत नरेंद्र गिरी ने उन्हें आश्रम से निष्कासित कर दिया था. लेकिन जब इस मामले पर अखाड़ों ने हस्तक्षेप किया तो महंत गिरी के पैरों में गिरकर आनंद गिरी ने माफ़ी मांगी थी. इसके बाद जाकर यह मामला शांत तो हो गया लेकिन पहले जैसा रिश्ता उन दोनों के बीच नहीं रहा था. आखिर में अब सवाल यही उठता है कि क्या महंत गिरी का अपने शिष्य ने इतना गहरा विवाद था तो महंत गिरी की हत्या के पीछे आनंद गिरी का ही हाथ है. या फिर गुरु और शिष्य की दुश्मनी का किसी तीसरे ने भरपूर फायदा उठाकर महंत गिरी को मौत के घाट उतार दिया।

 

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