12 नवंबर से सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को आज 9 दिन पूरे हो चुके हैं। फिलहाल भीतर मजदूर सुरक्षित हैं मगर बाहर उनके परिजनों और देशवासियों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं। 9 दिन बाद भी रेस्क्यू में सफलता नहीं मिल पाई है। इस बीच 50 घंटे से बंद पड़ा रेस्क्यू फिर शुरू किया गया है। रेस्क्यू में जुटी टीमें 5 अलग-अलग प्लान पर काम कर रही हैं। और इस पर लगातार चर्चा चल रही है। इस बात पर भी विचार चल रहा है कि टनल के उपर से वर्टिकल ड्रिलिंग की जाए। मगर जो पहला प्लान टनल के भीतर ऑगर मशीन से ड्रिल करने का है वो ही अब तक पुख्ता माना जा रहा है। क्योंकि ये ऑगर मशीन मजदूरों से 40 मीटर दूरी पर है। अगर कहीं ओर से सुरंग बनाई जाती है तो 80 से 150 मीटर की खुदाई करनी होगी।
बताया जा रहा है कि आज पुणे और हॉलैंड से वर्टिकल ड्रिलिंग की मशीनें आएगी जिससे रेस्क्यू कार्य तेज होगा। साथ ही सिलक्यारा टनल की ओर से ऑगर मशीन की रुकावट बनी भारी चट्टान को तोड़ा जा रहा है। इसके लिए मशीन को मलबे से बचाने के लिए कंक्रीट ब्लॉक कवर किया जा रहा है।
इस बीच टनल में फंसे मजदूरों की तबीयत भी बिगड़ सकती है, मजदूर भूख महसूस कर रहे हैं क्योंकि खाने के नाम पर ड्राइ फु्रट्स हैं समिति मात्रा है। दुआओं का दौर जारी है हर कोई चाहता है कि सब किसी भी तरह मजदूर सकुशल बाहर निकल आएं।