Thursday, April 18, 2024
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जल्द ही उत्तराखंड की ट्रेनों में होगी विस्टाडोम कोच, जानिए इसकी विशेषताएं

अगर आप ट्रैवेलिंग का शौक रखते हैं, तो ये खबर आपके लिए है… सोचिये एक कांच की रेलगाड़ी मे बैठकर उत्तराखंड के पहाड़ो और वादियों का सफर कैसा होगा …जब ट्रेन में बैठे-बैठे आपको खुला आसमान दिखेगा, पहाड़ और झरने दिखेंगे… भारतीय रेल के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई.. और वो है विस्टाडोम कोच.. इस कोच में सफर करने वाले यात्रियों का सफर न केवल आरामदेह, बल्कि यादगार भी बन जायेगा…

विस्टाडोम कोच की खासियत: 

  • विस्टाडोम कोच ऐसे डिब्बे हैं, जिनमें चौड़ी खिड़कियां हैं और छतें भी कांच की हैं.
    पारदर्शी छत इसका खास आकर्षण है, जिससे यात्री पूरे रास्ते प्रकृति का आनंद ले सकेंगे.
  • सीटें 180 डिग्री पर घूम सकती हैं, कोच में यात्रियों के लिए कुल 44 सीटें हैं. ये सीटें आरामदायक तो हैं ही, पैर फैलाने के लिए भी काफी लेगरूम है…. लेकिन यहाँ इन सीटों की सबसे बड़ी खासियत है कि इन्हें चारों ओर घुमाया जा सकता है…. जिन पर्यटकों को खुले आसमान, पहाड़ों, सुरंगों, पुलों, पहाड़ियों और हरे भरे जंगलों का 260 डिग्री दृश्य प्रदान करेगा….
  • तकनीक का भी पूरा ध्यान रखा गया है, कोच में पैसेंजर इन्फॉर्मेशन सिस्टम के अलावा वाईफाई होगा, ताकि लोग काम या मनोरंजन भी कर सकें. साथ ही यहां पर दरवाजे ऑटोस्लाइडिंग की तकनीक पर काम करेंगे…. यानी दरवाजों को छूने या ताकत लगाने की जरूरत तक नहीं है, बल्कि ये सेंसर पर काम करते हुए किसी के आने-जाने पर खुद ही खुल जाएंगे… जो कोरोना महामारी के लिहास से भी अनुकूल है। यहाँ शारीरिक तौर पर दिव्यांग लोगों का भी यहां ध्यान रखा गया है और दरवाज़े इतने चौड़े हैं कि व्हील चेयर आसानी से आ जाए.
  • कोच में हैं मॉड्युलर टॉयलेट, आमतौर पर रेल में सफर करने वाले यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी टॉयलेट में साफ-सफाई को लेकर होती है. इस कोच में मॉड्युलर टॉयलेट इको फ्रेंडली होंगे और इनमें लगातार साफ-सफाई चलेगी ताकि किसी भी यात्री को असुविधा न हो… इसमें बायो टैंक होगा ताकि ट्रैक पर गंदगी न हो..
    वहीँ हर कोच में मोबाइल या लैबटॉप चार्ज करने के लिए चार्जिंग पॉइंट हैं. और पुराणी ट्रेनों की तरह ऊपर की ओर नहीं, बल्कि सीट में हत्थे के पास होंगे जो कि ज्यादा सुविधाजनक है.. साथ ही डिजिटल डिस्प्ले तकनीक होगी, जिससे स्पीकर जुड़ा होगा ताकि यात्री मनोरंजन कर सकें….

  • पैसेंजर के खानपान का भी पूरा ध्यान रखा गया है. यहां रिफ्रेशमेन्ट एरिया होगा, साथ ही एक सर्विस एरिया होगा जहां हॉटकेस और माइक्रोवेव होगा कॉफी मेकर भी होगा … इसके अलावा एक फ्रिज तक है
  • वहीँ 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली रेलों के विस्टाडोम कोच में तो एक लाउंज भी होगा… अगर कोई यात्री अपनी सीट पर नहीं बैठना चाहता और खड़ा होकर प्राकृतिक नजारा देखना चाहे तो वो लाउंज में आ सकता है. साथ हीहर कोच में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है ताकि हर मूवमेंट पर नजर रखी जा सके.
  • विस्टाडोम कोच से मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा, उम्मीद की जा रही है कि इससे न केवल लोग प्रकृति के और करीब आएंगे, बल्कि भारतीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.

अब चलिए आपको यह भी बता देते है की ये विस्टाडोम कोच किन राज्यों में चलेगी- 
आपको बता दें 2017 में पहली बार इस तरह के कोच शामिल किए गए थे। पहला कोच विशाखापट्टनम-अराकु घाटी मार्ग पर चलने वाली ट्रेन में लगाया गया था। उसके बाद मुंबई-गोवा के बीच जनशताब्दी एक्सप्रेस में इसे लगाया गया। वर्ष 2018 में शिमला-कालका रूट पर इस कोच को लगाया गया था। यात्रियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद इस तरह के कोच वाली पूरी ट्रेन की परिचालन शुरू किया गया। इसे ध्यान में रखकर देहरादून व काठगोदाम शताब्दी में एक-एक विस्टाडोम कोच लगाने की भी तैयारियां चल रही हैं… देहरादून शताब्दी राजाजी नेशनल पार्क होकर उत्तराखंड के पहाड़ों के बीच से होकर गुजरती है। इसी तरह से चंडीगढ़ व कालका शताब्दी का रूट भी मनमोहक है।

 

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