विचित्र वीणा वादक अजीत सिंह नहीं रहे, देहरादून में ली अंतिम सांस
देहरादून- देश के गिने चुने विचित्र वीणा वादकों में से एक अजीत सिंह नहीं रहे। बीते दिन देहरादून स्थित अपने आवास में अजीत सिंह ने अंतिम सांस ली। 88 वर्षीय अजीत सिंह पिछले ढेड़ साल से बीमार चल रहे थे। वह विचित्र वीणा वादन के क्षेत्र में ख्याती प्राप्त थे। वह देश के गिने चुने विचित्र वीणा वादकों में से एक थे। जिन्होंने देश-विदेश में कई कार्यक्रम प्रस्तुत किये थे।
विचित्र वीणा बजाने में माहिर रहे अजीत सिंह पिछले चार दशकों से संगीत उपासना कर रहे थे। उन्होंने देश-विदेश में विचित्र वीणा वादन के कई कार्यक्रम भी किये। उन्हें 80 के दशक में बीबीसी की ओर से लंदन और बर्मिंघम भी बुलाया गया था। जहां उन्होंने विचित्र वीणा वादन के कार्यक्रम किये थे। उन्होनें बिग बिजनेस के लेखक रस्किन बॉन्ड की कहानी पर बनी ऑस्ट्रेलियन फिल्म के लिए भी विचित्र वीणा बजाई थी। अजीत ऑल इंडिया रेडियो के साथ पहले दर्जे के कलाकार भी रहे हैं। मशहूर बैंड बीटल्स के सदस्य जॉर्ज हैरिसन के लिए उन्होंने सुर बहार नामक सितार भी बनाया था। अजीत सिंह के निधन पर समाज के विभिन्न वर्गों ने दुख प्रकट करते हुये उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। अजीत सिंह के परिवार के करीबी गुल्जारी लाल बख्शी ने उनके निधन पर शोक प्रकट किया है।
बीबीसी को दिये एक इंटरव्यू में अजीत सिंह ने कहा था कि इस वाद्य यंत्र को संभालना जरा मुश्किल काम है। क्योंकि इसकी ट्यूनिंग बाकी वाद्य यंत्रों से काफी अलग होती है। अजीत सिंह मानते थे कि अगर उन्होंने विचित्र वीणा को लोकप्रिय करने के लिए अपना शहर छोड़ा होता तो शायद उनकी और इस यंत्र की जगह म्यूजिक इंडस्ट्री में बहुत ऊपर होती। जीवित रहते हुये अजीत सिंह को अफसोस रहा कि नई पीढी विचित्र वीणा नहीं सीखना चाहती। क्योंकि लोगों को ऐसा यंत्र सीखना पसंद है जिसमें तीव्रता हो, जल्दी सीखा जा सके। उनकी राय थी कि विचित्र वीणा में काफी मेहनत, समय, निष्ठा और धैर्य चाहिए जो लोगों में मुश्किल से ही मिलता है। एक जानकारी के मुताबिक आज भारत में विचित्र वीणा बजाने वाले महज 3 या 4 कलाकार ही मौजदू हैं। उनमें से एक अजीत सिंह अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं।
आपको बता दें कि विचित्र वीणा कुछ कुछ सितार की तरह होती है। यह बेहद भारी भी होती है जिसकी वजह से इसे इधर-उधर लाने ले जाने में कलाकारों को खासी दिक्कत महसूस होती है। यही कारण है कि इस वीणा का अब निर्माण भी न के बाराबर होता है। यह वाद्य यंत्र बजाने के लिहाज से भी बेहद विचित्र है जिसकी वहज से इसे विचित्र वीणा कहा जाता है। हाथीदांत से बनी इसकी पट्टी पर कसी तारों को उंगलियों की सहायता से नहीं, बल्कि एक लकड़ी के गोलाकार यंत्र की सहायता से बजाया जाता है। जोकि बेहद मुश्किल भरा काम है।