इस टेक्निकल सर्वे में हाईटेक और शार्प 150 से 200 फीट की ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसकी क्वालिटी ऐसी है कि वह आसानी से ज़मीन पर बने निर्माण की तस्वीरें रिकॉर्ड कर लेगा। इससे तस्वीर लेते वक्त उस क्षेत्र की देशांतर और अक्षांश की जानकारी भी सटीक मिल जाएगी। ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम टेक्निक से बेस मैप के साथ ही शहर के सार्वजनिक स्थानों की भी जानकारी अपडेट हो जाएगी। जीआईएस मैप के आधार पर ही संबंधित शहरों के निकायों की ओर से प्रॉपर्टी टैक्स का निर्धारण किया जाएगा। अब देखना होगा कि जब ड्रोन आसमान में उड़ेगा तो किनते टैक्स चोरों की कुंडली कैमरे में क़ैद होगी और कितना राजस्व सरकार के खाते में जुड़ेगा