Friday, October 11, 2024
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Uttarakhand – बच्चों को खूब भा रहा है रेलगाड़ी वाला यह स्कूल

देश भर मे अनोखे स्कूल आपने देखे होंगे । कही अध्यापक तो कही छात्र दिलचस्प मिल जायेगे । कई राज्यो मे रेलगाड़ी वाले सरकारी विद्यालय बने है । बिहार , राजस्थान , एमपी के बाद अब देवभूमि मे भी ऐसी ही एक यमकेश्वर एक्सप्रेस रेलगाड़ी वाला स्कूल  बन कर तैयार हुआ है जिसको लेकर छात्रो मे बेहद उत्साह दिखाई दे रहा है । इसका मकसद बच्चों में शिक्षा के प्रति रचनात्मक दिलचस्पी पैदा करना है ।

   

रुचि जागृत हो और विद्यालय जाने का उत्साह भी बना रहे, इसके लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास होते रहे हैं और आज भी हो रहे हैं। इसकी बानगी पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मणझूला में देखी जा सकती है, जहां विद्यालय भवन को रेलगाड़ी (यमकेश्वर एक्सप्रेस) का स्वरूप दिया गया है। रेलगाड़ी वाला यह विद्यालय बच्चों को भी खूब भा रहा है।स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई बोरिंग ना लगे, इसके लिए अलग अलग जगह तरह तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं। कहीं रंग रोगन, कहीं दीवारों पर चार्ट्स चिपकाना तो कहीं कुछ। लेकिन ऋषिकेश के एक प्राथमिक विद्यालय से जो तस्वीरें आ रही है, उसे देख कर ऐसा लगता है ये कि यह स्कूल किसी एक्सप्रेस ट्रेन की तरह गति पकड़ने वाला है और इसके विद्यार्थी उसी ट्रेन की गति से आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचेंगे।

ऋषिकेश के यमकेश्वर प्रखंड के अन्तर्गत आने वाले एक प्राथमिक स्कूल ने सभी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मण झूला में पढ़ने वाले बच्चे अब रेलवे के एहसास के साथ अपने पंखों का उड़ान देंगे। इस विद्यालय का कायाकल्प विधायक निधि से मिली धनराशि से किया गया है।

इन पैसों से यहां की दीवारों को पेंट कर उन्हें ट्रेन का स्वरूप दिया गया है। जितना रोचक यह विद्यालय बनाया गया है, इतना ही रोचक है इसका नाम, ‘ यमकेश्वर एक्सप्रेस ‘ आपको बता दे कि 1962 में स्थापित राजकीय प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मणझूला का ये भवन और चहारदीवारी लंबे समय से देखरेख न होने के कारण खराब हो चुकी थी। इसी वजह से विद्यालय की प्रधानाध्यापक लक्ष्मी बड़थ्वाल ने विद्यालय से जुड़ी ‘प्रयास एक’ सामाजिक संस्था के अध्यक्ष अश्वनी गुप्ता से इस संबंध में चर्चा की।

अश्वनी ने विद्यालय की इस समस्या से क्षेत्रीय विधायक रितु खंडूड़ी को अवगत कराया। इस पर उन्होंने विधायक निधि से चार लाख रुपये की स्वीकृति देते हुए विद्यालय भवन को इस तरह विकसित करने के निर्देश दिए, ताकि वह अन्य विद्यालयों के लिए भी एक मॉडल बन जाए। विद्यालय में परिवेश को इस तरह ढाला गया है कि बच्चों को खेल-खेल में ही कुछ न कुछ जानने-सीखने को मिले। इस विद्यालय में पौड़ी जिले के सुदूर गांवों से बच्चे पहुंचते हैं। इनमें कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने आज तक रेल नहीं देखी। इसी बात को देखते हुए विद्यालय को रेलगाड़ी का लुक दिया गया। शिक्षा को दिलचस्प बनाने वाले ऐसे अनोखे प्रयोग को और प्रोत्साहन देकर सरकार छात्रों को ज्यादा से ज्यादा स्कूल तक पहुँचा सकती है ।      

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