GOOD NEWS – उत्तराखंड के विज्ञानियों ने तैयार किया महकने वाला कोयला
दोस्तो सोचिये कोयले का जिक्र आते ही आपके मन मे कैसी तस्वीर नजर आती है जी बिल्कुल सही सोच रहे आप , कालिख, प्रदूषण और हानिकारक गैसों के निकलते धुये का ही नाम है कोयला लेकिन अब इस सच को बदलने का वक्त आ गया है क्योंकि सुगंधित, प्रदूषण मुक्त और सामान्य से ज्यादा ज्वलनशील जैविक कोयला हमारे पहाड़ मे तैयार हो रहा है जी हा और इसको तैयार किया है जीबी पंत संस्थान के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन से जुड़े होनहार विज्ञानियों ने
पहाड़ पर बेकार मानी जाने वाली लैंटाना घास व चीड़ की पत्तियों यानि पिरूल से इसे बनाया जा रहा है और यकीन मानिये आपके बड़े काम का है यह खुशबूदार कोयला। आपके आस पास से ठंड भी भगाएगा और घर भी महकाएगा। विज्ञानियों ने उचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों की पादप प्रजातियों के लिए चुनौती बनी शत्रु वनस्पति समझी जाने वाली लैंटाना और वनाग्नि के लिहाज से घातक साबित होने वाली पिरूल को अब हुनरमद बना दिया है। इससे पहाड़ की बड़ी समस्या बनीं दोनों वनस्पतियां लोगो के लिये आमदनी का जरिया भी बनेंगी और बेकार समझी जाने वाली पत्तिया खुशबू भी देगी ।
अब आप सोच रहे होंगे कि कैसे मिली कामयाबी तो आपको बता दे कि जैविक तरीके से उर्जा उत्पादन की सोच को आगे बढ़ाते हुए ही विज्ञानियों ने पिरूल व लैंटाना से कोयला तैयार करने की तकनीक पर काम शुरू किया और फ़िर इसे कारगर बनाने के लिए आइआइटी, रुड़की के विज्ञानी डा. विनय कुमार शर्मा की अगुआई में अल्मोड़ा व नैनीताल को चुना गया। यूनिवर्सल आफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून के विशेषज्ञों ने भी इस मिशन मे मदद की फ़िर तैयार हुआ एक क्रशर , जिसे 12 वोल्ट की बैट्री से संचालित किया जाता है
रिसर्च का दावा है कि लैंटाना के साथ ही काला बांसा, पिरूल, पाती, यूकोलिप्टस व लेमन ग्रास का भी उपयोग होने से इससे तैयार कोयला जलने पर सभी वनस्पतियां धूप जैसी सुगंध देती हैं।
