UTTARAKHAND – हरिद्वार की 12 साल की छात्रा RIDHIMA PANDAY ने PM MODI को लिखी भावुक चिट्ठी
उत्तराखंड के हरिद्वार में रहने वाली जलवायु परिवर्तन की बाल कार्यकर्ता रिधिमा पांडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लम्बी चिट्ठी भेजी है। इसमें रिद्धिमा ने अपने सबसे खराब सपने का जिक्र किया है, सपना भी इतना डरावना कि इस बच्ची के होश उड़ा गए इस सपने में वो देखती है कि ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ स्कूल जा रही है। पहाड़ की इस मासूम कार्यकर्ता ने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऑक्सीजन सिलेंडर बच्चों के जीवन में बोझ बनकर एक ज़िंदगी का हिस्सा न बन जाए
रिधिमा ने कहा कि वह पत्र लिखने के लिए मजबूर थी, क्योंकि उसे लगा कि कोरोनो वायरस बीमारी के कारण हम देख पाए कि अगर मानव गतिविधियों को सीमित किया जाता है तो हमारे आसपास प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है, जिससे आसमान साफ और नीला दिख सकता है।
12 वर्षीय जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ने कहा की उन्हें उम्मीद है कि पीएम मोदी को उनका लिखा ये पत्र प्राप्त होगा और वह ज़रूर इसका जल्द जवाब भी देंगे। आपको बता दें की रिधिमा दुनिया की उन सिलेक्टेड सोलह बच्चों में से एक हैं जिन्होंने ग्रेटा थन्बर्ग के साथ ग्लोबल वार्मिंग पर संयुक्त राष्ट्र में शिकायत भेजी है … पढ़िए कि आखिर बाल कार्यकर्ता भावना ने पीएम मोदी को अपनी इस चिट्ठी में क्या लिखा है
“मेरा नाम रिधिमा पांडे है। में 12 साल की हूं। मैं हरिद्वार, उत्तराखंड में रहती हूं। मुझे उम्मीद है कि आप इस पत्र को पढ़ेंगे और जवाब देंगे। एक बार स्कूल में हमारे शिक्षक ने हमसे हमारे बुरे सपने के बारे में पूछा था। मैंने उन्हें बताया था कि मेरा बुरा सपना ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर स्कूल आना था, क्योंकि हवा काफी प्रदूषित हो गई है। यह दुःस्वप्न अभी भी मेरी सबसे बड़ी चिंता है।”
“मुझे चिंता है कि अगर जल्द ही इस समस्या के बारे में कुछ भी नहीं किया जाता है, तो आने वाले वर्षों में हमें स्वच्छ हवा में सांस लेने और जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना होगा। कृपया आप यह सुनिश्चित करके हमारी मदद करें कि ऑक्सीजन सिलेंडर बच्चों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं बने। जिसे हमें निकट भविष्य में हर जगह अपने कंधों पर रखना होगा।”
मुझे आज कई शोध अध्ययनों के बारे में पता चला है जो वायु प्रदूषण और कोरोना से संबंधित घटनाओं और मृत्यु दर के बीच संबंध का सुझाव दे रहे हैं। यह परेशान करने वाला है। भारत के कई हिस्सों में हर साल हवा बहुत प्रदूषित हो जाती है। अक्टूबर के बाद सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। मुझे चिंता है कि अगर मेरे जैसे 12 साल के बच्चे को सांस लेने में मुश्किल होती है, तो दिल्ली या अन्य शहरों में मेरे से छोटे बच्चों या बच्चों के लिए यह कैसा होता होगा।”
“देशव्यापी लॉकडाउन से पहले हमने सोचा था कि हम कभी भी स्वच्छ हवा में सांस नहीं ले पाएंगे, प्रतिबंधों ने हमें गलत साबित कर दिया। हवा साफ हो गई और आसमान नीला हो गया। यह साबित हुआ कि भारतीयों के लिए स्वच्छ हवा में सांस लेना संभव है।” “भारत के सभी बच्चों की ओर से मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहती हूं। कृपया हमारे भविष्य के बारे में सोचें। कृपया देश भर में प्रदूषण के प्रबंधन के लिए सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दें ।’