Thursday, May 9, 2024
उत्तर प्रदेश

रेलवे ने एक चूहा पकड़ने में खर्च कर डाले 41 हजार रूपये, 70 लाख में पकड़े 186 चूहे

उत्तर रेलवे का एक हैरतअंगेज कारनामा सामने आया है। जी हां जिसे जानकर आप अपना माथा पीट लेंगे। मामला लखनउ रेलवे स्टेशन का है जहां चूहों के आतंक से परेशान अधिकारियों ने इन्हें धर दबोचने के लिये प्लान तैयार किया और चूहों के पीछे भारी भरकम बजट पानी की तरह बहा डाला। एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है कि अधिकारियों ने स्टेशन पर चूहा पकड़ने का अभियान चलाया और एक चूहे को पकड़ने में 41 हजार रुपए खर्च कर डाले। इसके लिये रेलवे ने साल 2020 में सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पाेरेशन को चूहे पकड़ने का कॉन्ट्रैक्ट दिया। तीन साल के करीब 1096 दिनों में कॉर्पोरेशन ने 168 चूहे पकड़े। मतलब कॉर्पोरेशन को एक चूहा पकड़ने में करीब साढ़े छह दिन का समय लगा। यानी इन साढ़े छह दिन के 156 घंटों में कॉर्पोरेशन ने 41 हजार रुपए, महज एक चूहे को पकड़ने में बर्बाद कर दिए। बजट को पानी की तरह ऐसा बहाया गया कि कि हर साल चूहे को पकड़ने वाले अभियान में करीब 23 लाख 16 हजार 150 रुपए खर्च कर डाले। ये अभियान लगातार तीन साल तक चला और इसमें 69 लाख 48 हजार 450 रुपए का खर्च आया।
पहले साल औसत से अच्छा काम हुआ जब रेलवे ने सालभर में 83 चूहे पकड़े गये। यानी मसलन 4 दिन में एक चूहा। लेकिन अगले दो साल यानी 2021 में 45 और 2022 में केवल 40 चूहे ही पकड़ में आये। इन दो सालों में एक चूहे को पकड़ने में करीब 51 हजार रूपये खर्च हुये।
आरटीआई में हुये इस खुलासे के बाद रेलवे कुछ भी कहने से बच रहा है। और लोग ये जानकार हैरान हैं कि आखिर चूहे पकड़ने में इतना बजट कैसे खर्च हो सकता है। तो क्या चूहे पकड़ने के लिये यहां भ्रष्टाचार का जाल बुना गया? जिसे लखनउ के चुहे एक झटके में कुतर गये और रेलवे की पोल खुल गई।

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