Friday, April 26, 2024
उत्तराखंडदेहरादून

जानिए कौन है पद्मश्री डॉ.योगी एरन, दशकों से कर रहे मरीजों का मुफ्त इलाज

देहरादून के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ.योगी ऐरन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया…. उनके सम्मान से उत्तराखंड का भी मान बढ़ा है। डॉ.योगी ऐरन कई सालों से लोगों को निशुल्क सेवाएं देते आये हैं, आज 84 की उम्र में उन्होंने 5000 से अधिक फ्री प्लास्टिक सर्जरी कर लोगों को जीवन दान दिया है। भारत में ऐसे कई लोग है जो आर्थिक रूप से कमज़ोर है और दुर्घटना के चलते त्वचा में विकृति आ जाने पर यह प्लास्टिक सर्जरी नहीं करा पाते हैं। ऐसे ही लोगो के लिए डॉ. योगी ऐरन सालों से मुफ्त में इलाज कर रहे हैं।


जानिए कौन हैं डॉ.योगी ऐरन…

कभी अमेरिका में प्लास्टिक सर्जन रह चुके डॉ. योगी में पिछले 14 साल से मानवता की सेवा करने में जुटे हुए हैं। वह कहते हैं कि जलने या जानवर के हमले में घायल होने के कारण शारीरिक विकृति से जूझ रहे लोगों को दोबारा वही काया पाकर न सिर्फ नया जीवन, बल्कि सामान्य जीवन जीने का एक हौसला भी मिलता है। वह न सिर्फ सफल प्लास्टिक सर्जन हैं, बल्कि 84 साल की उम्र में भी उनके हाथों की सर्जरी में लोगों को जादू नजर आता है।

यही नहीं, डॉ. ऐरन तीन साल से प्लास्टिक सर्जरी पर ब्लू बुक तैयार कर रहे हैं। इसमें प्लास्टिक सर्जरी के जटिल ऑपरेशन करने का ब्लू प्रिंट शामिल होगा। इस बुक में उनकी सर्जरी वाले मरीजों की एक लाख तस्वीरें भी होंगी। मूलरूप से यूपी के मेरठ निवासी डॉ. ऐरन दून के आईटी पार्क रोड के पास हेल्पिंग हैंड नाम की संस्था और जंगल मंगल अस्पताल चलाते हैं। जो लंबे अरसे से गरीब लोगों के जले और कटे मानव अंगों की फ्री प्लास्टिक सर्जरी करती है।

डॉ.योगी ऐरन का जन्म 1937 में मेरठ में हुआ, उन्होंने केजीएमसी से 1967 में एमबीबीएस किया। पटना के प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल से 1971 में पीजी किया। 1973 में उन्हें दून अस्पताल में नौकरी मिली, लेकिन उस दौरान प्लास्टिक सर्जरी के प्रचलित नहीं होने से उन्हें खास काम नहीं मिला।
70 का दशक था, और प्लास्टिक सर्जरी के बारे में लोगों में जागरूकता नहीं थी। ऐसे में वह शुरुआती सालों में सिर्फ पोस्टमार्टम ड्यूटी करते रहे। जिसके बाद दून अस्पताल की नौकरी छोड़ वह अमेरिका चले गए। जहां उन्होंनें डॉ. मिलार्ड से प्लास्टिक सर्जरी की बारीकियां सीखीं। 1984 में दून वापस आने के बाद मालसी में जंगल मंगल अस्पताल बनाया, लेकिन जंगल से घिरे क्षेत्र में कम मरीज आते थे। बाद में आईटी रोड पर दस बेड का अस्पताल बनाया। जहां वह गरीबों के जले और कटे मानव अंगों की फ्री प्लास्टिक सर्जरी करते हैं। उनका कहना है कि लोगों ने उन पर विश्वास किया, इसी कारण उन्हें सफलता मिली है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *