जानिए कौन हैं ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ तुलसी गौड़ा, राष्ट्रपति से पद्मश्री सम्मान लेने नंगे पाँव पहुँची
तुलसी गौड़ा का जन्म 1944 में भारत के कर्नाटक राज्य में उत्तर कन्नड़ जिले के होन्नल्ली गांव के हक्काली आदिवासी परिवार में हुआ। गौड़ा का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था, और जब वह केवल 2 वर्ष की थीं, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई… जिसके कारण उन्हें अपनी माँ के साथ एक स्थानीय नर्सरी में एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करना पड़ा। तुलसी गौड़ा ने कभी औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की। लेकिन बचपन से ही पेड़-पौधे और जड़ी-बूटी की जानकर थी। 35 वर्षों तक उन्होंने अपनी मां के साथ मजदूर के रूप में नर्सरी में काम किया। छोटे बड़े पेड-पौधों और जड़ी-बूटीयों के प्रजातियों पर विशाल ज्ञान के कारण आज उन्हें ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ के नाम से जाना जाता हैं।
आपको बता दें कि लगातार पौधों की देखभाल और लगन के कारण फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने स्थायी नौकरी का ऑफर दिया था जहां लगातार उन्होंने 14 सालों तक नौकरी की। गरीबी में पली-बढ़ी तुलसी ने रिटायरमेंट के बाद भी पौधों को बचाने का अभियान जारी रखा। अब वह पेंशन से गुजारा कर रही हैं। आज भी तुलसी गौड़ा बहुत ही सादगी के साथ रहती हैं। तुलसी गौड़ा अबतक 30,000 से अधिक पौधे लगा चुकी हैं… रिटायरमेंट के बाद भी वह वन विभाग की नर्सरी की देखभाल करती हैं।
पर्यावरण के प्रति एहम योगदान पर मिले यह पुरस्कार ….
पर्यावरण को सहेजने के लिए उन्हें इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड, राज्योत्सव अवॉर्ड, कविता मेमोरियल समेत कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका हैं। हाल ही में उन्हें 08 नवंबर, 2021 को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया। जब वह सम्मान लेने के लिए पहुंची तो उनके बदन पर पारंपरिक धोती थी और पैरों में चप्पल नहीं थी.. इस सादगी की वजह से आज सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं..