Saturday, July 27, 2024
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खास है आजका दिन : 30 दिसंबर के दिन सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार फहराया था आजाद भारत का झंडा, पढ़िए पूरा इतिहास

30 दिसंबर का दिन भारतवासियों के लिए बेहद ही खास है, क्यूंकि यही वह दिन था जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में पहली बार भारत की आजाद जमीन पर भारतीय झंडा फहराया था। वर्ल्ड वॉर टू के डेटाबेस की आधिकारिक वेबसाइट से इसकी जानकारी प्राप्त की गयी, जिसमे यह साफ़ है कि दूसरे वर्ल्ड वार मे जापान का 1942 में पोर्ट ब्लेयर पर कब्ज़ा कर लिया था । 30 दिसंबर 1943 में पहली बार नेताजी ने जो झंडा फहराया था वो आजाद हिन्द फौज का था। आजाद हिन्द फौज की स्थापना 1942 में जापान में रासबिहारी बोस ने की थी। इस फौज में उन भारतीय सैनिकों को शामिल किया गया था जो जापान में बंदी बना लिये गये थे।

जानिए इतिहास…

ब्रिटेनिका के मुताबिक नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ये नहीं चाहते थे कि भारत ब्रिटेन की ओर से लड़े। इसके लिए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन भी किये थे। जिसके बाद उन्हें अंग्रेजो ने जेल में डाल दिया। जेल में भी उन्होंने भूख हड़ताल की, जिसके बाद नेताजी को उन्हें ही घर में नजरबंद कर लिया गया था। किसी तरह से नेताजी वहाँ से जर्मनी भाग गए और युद्ध लड़ने की ट्रेनिंग लेंने लगे। जर्मनी में रासबिहारी बोस ने नेताजी को आमंत्रित किया और 4 जुलाई, 1943 को एक समारोह के दौरान रासबिहारी ने आजाद हिंद फौज की कमान सुभाष के हाथों में सौंप दी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी का मानना था कि जापान की मदद से भारत से ब्रिटिश हुकूमत का खात्मा किया जा सकता है। इसलिए उन्होंने जापान की सेना का सहयोग किया। जापान भी आजादी की लड़ाई में नेताजी के साथ खड़ा था। जिसके बाद जापान ने अंग्रेजों से जीत कर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर कब्जा कर लिया था। 21 अक्टूबर, 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद सरकार बना ली थी। साथ ही जापानियों के साथ नेताजी के संबंध बहुत खास थे। इसलिए उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप की कमान नेताजी की सरकार को सौंप दिया। सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर, 1943 को पहली बार अंडमान-निकोबार की धरती पर अपना झंडा फहराया। भारत के पहले ध्वज रोपड़ से लेकर आज 78 वीं वर्षगांठ है।

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