राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2021 : मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती आज, जानें इससे जुडी ख़ास बातें
भारत में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को स्वतंत्र भारत के पहले केन्द्रीय शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम का असली नाम अबुल कलाम ग़ुलाम मुहियुद्दीन था। उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक देश के शिक्षा मंत्री के तौर पर सेवा दी थी। साल 2008 में इनके जन्मदिवस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी। जिसके बाद से हर साल 11 नंवबर के दिन को शिक्षा दिवस के रुप में मनाया जाता है।
मौलाना अबुल कलाम आजाद अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ थे, वे भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उन्होंने अंग्रेजी सरकार को आम आदमी के शोषण के लिए जिम्मेदार ठहराया था.. मुस्लिम नेताओं से अलग उन्होने 1905 में बंगाल के विभाजन का विरोध भी किया था …
मौलाना अबुल कलाम आजाद का शिक्षा के स्तर को बेहतर करने में काफी योगदान रहा, उन्होंने 11 वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा निति का मार्गदर्शन किया। अपने कार्यकाल के दौरान ही इन्होनें साल 1951 में देश की प्रथम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और साल 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की थी। मौलाना अबुल कलाम आजाद को भारत सरकार ने साल 1992 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया था, हालाँकि ये सम्मान उन्हें मरणोपरांत दिया गया था … वे एक प्रकांड विद्वान के साथ-साथ एक कवि भी थे, अबुल सर्वप्रथम आजाद भारत मे शिक्षा के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया था।
उनका कहना था कि – ‘मुझे एक भारतीय होने पर गर्व है। मैं एक अविभाज्य एकता का हिस्सा रहा हूँ जो कि भारतीय राष्ट्रीयता है। मैं इस भव्य संरचना का अपरिहार्य अंग हूँ और मेरे बिना यह शानदार संरचना अधूरी है। मैं एक आवश्यक तत्व हूँ जो भारत का निर्माण के लिए कटिबद्ध है. मैं अपने इस दावा को कभी ख़ारिज नहीं कर सकता.’
शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना अबुल कलाम आजाद को उनके स्थायी योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। मौलाना आजाद की जयंती के दिन देश के स्कूलों व कॉलेजों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है और बच्चों के बीच प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं।