माओवादियों को आरके कंस्ट्रक्शन के जरिये पहुंच रही थी लेवी
टेरर फंडिंग के मामले की जांच कर रही एनआईए ने दावा किया है कि आरकेएस कंस्ट्रक्शन कंपनी के माध्यम से माओवादियों को लेवी पहुंच रही थी। इस मामले में तथ्य जुटाने के बाद ही एनआईए ने मंगलवार को इस कंपनी के दफ्तर समेत अन्य ठिकानों पर छापेमारी की। एनआईए के अनुसार कंपनी के एक कर्मी गिरिडीह के सरिया निवासी मनोज कुमार को टेरर फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद वर्ष 2018 में एनआईए ने इस मामले को हाथ में लिया और जांच शुरू की। एनआईए के अनुसार उसकी जांच में यह बात सामने आयी है कि आरकेएस कंस्ट्रक्शन कंपनी का कर्मचारी मनोज कुमार न सिर्फ कंपनी और माओवादी संगठन के बीच की कड़ी का काम करता था, बल्कि गिरिडीह इलाके में सड़क निर्माण के लिए काम करने वाली बाकी कंपनियों से भी लेवी की राशि वसूल कर माओवादी रीजनल कमांडर कृष्णा हांसदा उर्फ अविनाश दा तक पहुंचाता था।
एनआईए के मुताबिक माओवादियों के टेरर फंडिंग के मामले में 9 जुलाई 2018 को आरकेएस कंपनी के खिलाफ उसने आरसी 21/2018 केस दर्ज किया था। इसी मामले में एनआईए ने मंगलवार को रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के ठिकानों पर छापेमारी की थी। एनआईए अधिकारी के मुताबिक, 22 जनवरी 2018 को डुमरी में पुलिस ने जब छह लाख रुपये के साथ मनोज कुमार को गिरफ्तार किया था तो उसके पास से कई कागजात भी बरामद किए गए थे। पुलिस की शुरूआती जांच में भी यह बात सामने आयी थी कि ठेकेदारों से लेवी के पैसे लेकर मनोज इसे रीजनल कमांडर कृष्णा हांसदा तक पहुंचाता है।
एनआईए के अनुसार उसकी जांच में यह बात सामने आयी है कि मनोज कुमार जिस छह लाख रुपये के साथ पकड़ा गया था, वह राशि आरकेएस कंस्ट्रक्शन की थी। एनआईए अधिकारियों के मुताबिक, कंपनी की ओर से मिली लेवी की राशि से भाकपा माओवादियों ने हथियार व कारतूस खरीदे हैं। वे इस असलहे का इस्तेमाल सुरक्षाबलों के खिलाफ कर रहे हैं। आरकेएस कंस्ट्रक्शन के कार्यालय में छापेमारी के दौरान एनआईए ने कैश बुक, बैंक खातों की डिटेल्स व कई अहम कागजात जब्त किए हैं। एनआईए सभी कागजातों की गहराई से जांच कर रही है। एनआईए सूत्रों के मुताबिक, आगे भी जांच में कई तथ्य आ सकते हैं।