डेढ़ साल की बच्ची को निवाला बनाने वाला गुलदार ढेर, रुद्रप्रयाग में मचाया आतंक
-आकांक्षा थापा
रुद्रप्रयाग से एक बड़ी खबर सामने आ रही है….. अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के सिल्ला ब्राह्मण गांव में डेढ़ साल की बच्ची को निवाला बनाने वाला गुलदार ढेर हो गया। आपको बता दें, वन विभाग की टीम ने आधी रात को उसे गोली मारी थी सुबह करीब चार बजे गुलदार की मौत हो गई। हालाँकि टीम द्वारा गुलदार को पहले ट्रैंक्विलाइज़ कर या जाल बिछा कर भी पकड़ने की कोशिश की गयी थी, लेकिन गुलदार काबू में नहीं आ सका। गुलदार ने घायल होने के बाद शिकारियों पर हमले की कोशिश भी की। बता दें कि छोटी बच्ची को निवाला बनाने से पहले गुलदार पास के ही गाँव की एक महिला पर भी हमला कर चुका था।
इसी वजह से गुलदार को तुरंत आदमखोर घोषित कर मार देने के आदेश जारी हुए.. और तुरंत ही शिकारी जॉय हुकील, अजहर खान और जहीर बख्सी को गुलदार को पकड़ने के लिए भेजा गया… और करीब आधी रात को गुलदार को ढूंढकर उसे गोली मार दी गयी.. विभाग की टीम द्वारा गुलदार को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। गुलदार के मारे जाने स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है….
रुद्रप्रयाग से एक बड़ी खबर सामने आ रही है….. अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के सिल्ला ब्राह्मण गांव में डेढ़ साल की बच्ची को निवाला बनाने वाला गुलदार ढेर हो गया। आपको बता दें, वन विभाग की टीम ने आधी रात को उसे गोली मारी थी सुबह करीब चार बजे गुलदार की मौत हो गई। हालाँकि टीम द्वारा गुलदार को पहले ट्रंकलिज़ कर या जाल बिछा कर भी पकड़ने की कोशिश की गयी थी, लेकिन गुलदार काबू में नहीं आ सका। गुलदार ने घायल होने के बाद शिकारियों पर हमले की कोशिश भी की। बता दें कि छोटी बच्ची को निवाला बनाने से पहले गुलदार पास के ही गाँव की एक महिला पर भी हमला कर चुका था।
इसी वजह से गुलदार को तुरंत आदमखोर घोषित कर मार देने के आदेश जारी हुए.. और तुरंत ही शिकारी जॉय हुकील, अजहर खान और जहीर बख्सी को गुलदार को पकड़ने के लिए भेजा गया… और करीब आधी रात को गुलदार को ढूंढकर उसे गोली मार दी गयी.. विभाग की टीम द्वारा गुलदार को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। गुलदार के मारे जाने स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है…
गुलदार जैसे जानवर की फितरत होती है शिकार करना, अगर वो शिकार नहीं करेगा तो जीवित कैसे रहेगा।
शिकार की तलाश में ये जंगली जानवर अक्सर थोड़ा दूर तक भटक जाते हैं, और भूल जाते हैं की इनका जंगल अब इनका अपना नहीं, बल्कि मानव का डेरा है.. और फिर मनुष्य पर हमला कर खुद ही मनुष्य का शिकार बन जाते हैं ये गुलदार।यहाँ सवाल ये उठता है की क्या बेज़ुबान जानवर को इस तरह मारना सही है ? क्या सिर्फ बंदूकों से ही इन जानवरों पर काबू पाया जा सकता है ?