लाल बहादुर शास्त्री: जयंती पर जानिए उनसे जुड़े कुछ अनसुने किस्से
-आकांक्षा थापा
लाल बहादुर शास्त्री यानि भारत के पूर्व मुख्यमंत्री की आज जयंती है। लाल बहादुर शास्त्री ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में 9 जून 1964 से लेकर 11 जनवरी 1966 तक प्रधानमंत्री के रूप में देश के लिए काम किया। हालाँकि उनका कार्यकाल ज़्यादा लम्बा नहीं था, लेकिन देश के लिए उनका योगदान और त्याग को आज भी याद किया जाता है।
जब देश की आज़ादी के लिए शास्त्री जेल गए…
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान शास्त्री 9 साल तक जेल में रहे थे। पहली बार वह 17 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा, लेकिन बालिग ना होने की वजह से उन्हें छोड़ दिया गया था। 1940 का दौर था जब लाला लाजपत राय की संस्था लोक सेवक मंडल स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की आर्थिक रूप से मदद करती थी। एहि समय था जब लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे, इस दौरान उन्होंने अपनी मां को एक ख़त लिखा। इस खत में उन्होंने पूछा था कि क्या उन्हें संस्था से पैसे समय पर मिल रहे हैं और वे परिवार की जरुरतों के लिए पर्याप्त हैं। शास्त्री जी कि मां ने जवाब दिया कि उन्हें पचास रुपए मिलते हैं जिसमें से लगभग चालीस खर्च हो जाते हैं और बाकी के पैसे वे बचा लेती हैं। जिसके बाद शास्त्री जी ने लोक सेवक मंडल को भी एक पत्र लिखा और धन्यवाद देते हुए कहा कि अगली बार से उनके परिवार को चालीस रुपए ही भेजे जाएं और बचे हुए पैसों से किसी जरूरतमंद की मदद कर दी जाए।
जब लाल बहादुर शास्त्री ने बताई खादी की एहमियत…
शास्त्री खादी की एहमियत जानते थे, और उससे बनाने वालो की भी। अपने फटे कुर्ते पर शास्त्री जी बोले, “ये खादी का कुर्ता बीनने वालों ने बड़ी मेहनत से बनाया है” एक बार शास्त्री जी की अलमारी साफ़ की गई और उसमें से अनेक फटे पुराने कुर्ते निकाल दिये गए। लेकिन शास्त्री जी ने वे कुर्ते वापस मांगे और कहा- अब नवम्बर आयेगा, जाड़े के दिन होंगे, तब ये सब काम आयेंगे। ऊपर से कोट पहन लूंगा न। शास्त्री जी का खादी के प्रति प्रेम ही था कि उन्होंने फटे पुराने समझ हटा दिये गए कुर्तों को सहेजते हुए कहा- ये सब खादी के कपड़े हैं। बड़ी मेहनत से बनाए हैं बीनने वालों ने, इसका एक-एक सूत काम आना चाहिए।