केदारनाथ यात्रा के दौरान बीते 16 दिनों में ही 60 से ज्यादा घोड़ा-खच्चरों की तबियत बिगड़ने से मौत हो गई है। केदारनाथ में इस वर्ष सबसे ज्यादा मात्रा में दर्शन के लिए यात्री पहुंच रहे हैं। ऐसे में घोडा खच्चरों के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों की भी संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। चिंता की बात यह है कि इन खोड़ा खच्चरों के लिए न तो रहने की कोई समुचित व्यवस्था है और न ही इनके मरने के बाद विधिवत दाह संस्कार किया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के मरने के बाद मालिक और हॉकर उन्हें वहीं पर फेंक रहे हैं, जो सीधे मंदाकिनी नदी को दूषित कर रहें हैं। ऐसे में केदारनाथ में बीमारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। वहीं दूसरी तरफ संचालक और हॉकर रुपये कमाने के लिए घोड़ा-खच्चरों से एक दिन में गौरीकुंड से केदारनाथ के 2 से 3 चक्कर लगवा रहे हैं और रास्ते में उन्हें पलभर भी आराम नहीं मिल रहा है। जिस कारण वह थकान से चूर चूर होकर दर्द्नाक मौत का शिकार हो रहें हैं।