गीतांजलि श्री को बुकर प्राइज, रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद को मिला पुरस्कार
बीती रात जब पूरा भारत गहरी नींद के आगोश में सो रहा था तब सात समंदर पार से आई एक खबर ने सभी को रोमांचित कर दिया। भारत के किसी हिन्दी भाषा के लेखक को पहली बार दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार यानी बुकर अवार्ड ने नवाजा गया है। जी हां दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं। उनके उपन्यास टॉम्ब और सेंड के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही यह हिंदी का पहला उपन्यास है जिसे अंतर्राष्ट्रीय बुकर प्राइज मिला है।
गीतांजलि का यह उपन्यास मूल रूप से हिंदी शीर्षक रेत समाधि के नाम से प्रकाशित हुआ था जिसे डेजी रॉकवेल द्वारा अग्रेजी में टॉम्ब ऑफ सैंड के रूप में अनुवाद किया गया है। यह 50,000 पाउंड के पुरस्कार के लिए चुने जाने वाली पहली हिंदी भाषा की किताब है। जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया। आप को बता दें कि रेत समाधि उपन्यास भारत के विभाजन के दौर की एक ऐसी कहानी है, जो पति की मृत्यु के बाद एक बुजुर्ग महिला की दास्तां बताती है। गीतांजलि श्री कई लघु कथाओं और उपन्यासों की लेखिका हैं। उनके 2000 के उपन्यास माई को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था। बुकर प्राइज एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है। यह पुस्कार अंग्रेजी में ट्रांसलेट और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित किसी एक पुस्तक को हर साल दिया जाता है। एक भारतीय हिन्दी लेखिका को पहली बार बुकर एवार्ड मिलने से पूरे भारत और हिन्दी साहित्य जगत में हर्ष का माहौल है।