बदल जाएगी शादी की उम्र – मोदी प्लान में अल्पसंख्यकों को भी मानना होगा नया कानून
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र में बदलाव की बात करते रहे हैं। और अभी हालिया बयान में भी उन्होंने जया जेटली की अगुवाती में बनी टास्क फाॅर्स की सिफारिशों की बात भी कह चुके हैं। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 4 जून को इस संजीदा मुद्दे पर काम करने के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया था।
जय भारत टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक टास्क फोर्स अपनी रिपोर्ट तैयार कर चुकी है और जल्द ही मोदी सरकार को सौंपने वाली है। अभी लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष है ऐसे में जब यह सिफारिशें लागू होती हैं तो 42 वर्ष बाद देश में विवाह की उम्र बदल जाएगी ।
आपको बताते हैं कि किन बिंदुओं पर विचार हुआ है और नए बदलाव के मायने क्या हो सकते हैं —

1. लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु हर वर्ग और हर धर्म के लिए बदली जाए
बदलाव के मायने: मुस्लिम पर्सनल लॉ में लड़कियों के लिए निकाह की उम्र उनके रजस्वला होने पर रखी गई है। गुजरात हाईकोर्ट 2014 में यह व्यवस्था दे चुका है कि मुस्लिम समुदाय के लड़का-लड़की 15 साल से ऊपर हों तो वे पर्सनल लॉ के हिसाब से शादी के काबिल हैं।
2. विवाह की न्यूनतम आयु का उल्लंघन अपराध की श्रेणी में आए
बदलाव के मायने: देश में अभी न्यूनतम से कम उम्र में विवाह करना अमान्य है, लेकिन गैर कानूनी या अपराध की श्रेणी में नहीं है। ऐसी शादी को अमान्य घोषित किया जा सकता है। न्यूनतम उम्र से पहले शादी करना आपराधिक श्रेणी में आने से कोई भी वर्ग अपवाद नहीं रह जाएगा।
3. यौन हिंसा कानून में बदलाव कर अपवाद हटाए जाएं
बदलाव के मायने: निर्भया कांड के बाद यौन हिंसा कानून में 18 साल से कम उम्र की युवती के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाना भी दुष्कर्म की श्रेणी में रखा गया। लेकिन, इसी कानून में यह व्यवस्था है कि 15 से 18 साल के बीच की लड़की के साथ उसका पति संबंध बनाता है दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। कानून बदला तो यह व्यवस्था खत्म की जा सकती है।
टास्क फोर्स ने शादी की उम्र को जच्चा मृत्युदर और लिंगानुपात से जोड़ा
टास्क फोर्स ने शादी की उम्र को शिशु मृत्यु दर, जच्चा मृत्युदर, प्रजनन दर, लिंगानुपात जैसे सामाजिक सुरक्षा के मानकों से जोड़ दिया है और इस बात की सिफारिश की है कि समाज के किसी भी वर्ग को कमजोर स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता।
टास्कफोर्स ने अपनी सिफारिशों को लागू करने के लिए एक विस्तृत रोल आउट प्लान सुझाया है, जिसमें हर सिफारिश के लिए टाइमलाइन भी दी गई है। टास्कफोर्स ने उन कानूनों और सहायक कानूनों का ब्योरा दिया है जिनमें परिवर्तन करने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट कह चुका है- पूरी तरह अवैध माना जाए बाल विवाह
सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि वैवाहिक दुष्कर्म से बेटियों को बचाने के लिए बाल विवाह पूरी तरह से अवैध माना जाना चाहिए। विवाह की न्यूनतम उम्र का फैसला सरकार पर छोड़ा था।