अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस 2021: कैसे हुई भारत में शुरुआत, क्या है इस दिन का उद्देश्य
– आकांक्षा थापा
हर साल एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है.. जी हाँ, एक मई का दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित होता है। इस दिन को लेबर डे, श्रमिक दिवस और मई दिवस जैसे नामों से भी लोग जानते हैं। इस दिन लोगों की छुट्टी भी रहती है। लेकिन आप इस दिन के बारे में कितना जानते हैं? शायद बेहद कम, चलिए नज़र डालते हैं इस दिन के इतिहास पर …. इस आंदोलन की शुरुआत अमेरिका में एक मई 1886 को हुई थी। दरअसल, यहां पहले एक दिन में 15 घण्टे तक मजदूरों से काम लिया जाता था, जिसके खिलाफ एक मई 1886 को आवाज बुलंद हुई और अमेरिका की सड़कों पर लोग निकले। इस बीच पुलिस ने कुछ मजदूरों पर गोली चलवा दी, जिसमें से 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए और वहीं, कई मजदूरों की जान चली गई। इसके बाद साल 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक हुई और इसी दौरान अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस एक मई को मनाने का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही लोगों से आठ घंटे से ज्यादा काम न करवाने पर और इस दिन अवकाश रखने पर फैसला हुआ। भारत में इस दिन की शुरुआत कैसे हुई, इसपर नज़र डालते हैं….. चेन्नई में एक मई 1923 के दिन लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। इस बात को कई सोशल पार्टियों और संगठनों का समर्थन मिला और इसका नेतृत्व वामपंथी कर रहे थे…
सब्ज़े ज़रूरी है अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने के पीछे के उद्देश्य को जानना। मजूदरों की उपलब्धियों का सम्मान करना, उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाना व बुलंद करना, मजदूर संगठन को मजबूत करना और उनके योगदान की चर्चा करना आदि कई उद्देश्य हैं।