हिंदुस्तान में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है….. इसके पीछे की कहानी आज हम आपको बता रहे हैं … दरअसल आजादी मिलते ही देश को चलाने के लिए संविधान बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया था इसी कड़ी में उन्तीस अगस्त सैतालिस को भारतीय संविधान के निर्माण के लिए प्रारूप समिति की स्थापना की गई और इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदारी सौंपी गई।
दुनिया भर के तमाम संविधानों को बारीकी से परखने के बाद डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का एक खूबसूरत मसौदा तैयार कर लिया जिसको छब्बीस नवम्बर उन्नीस सौ उनचास को भारतीय संविधान सभा के सामने रखा गया जिसको उसी दिन संविधान सभा ने अपना लिया और फिर तब से भारत में हर साल छबीस नवम्बर को संविधान दिवस मनाया जाना शुरू हो गया … लेकिन क्या आपको पता है पहली बार हमारा ये अद्भुत संविधान छपा कहाँ था … चलिए हम आपको बताते हैं … उस समय प्रिंटिंग की आज की तरह अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं और उस समय के लिहाज से सबसे बड़ा एवं सुसज्जित छापाखाना केवल देहरादून स्थित भारतीय सर्वेक्षण विभाग या सर्वे ऑफ इंडिया के पास ही उपलब्ध था, इसलिए संविधान सभा ने इसी विभाग को इस ऐतिहासिक जिम्मेदारी सौंपी ….
देहरादून में नॉदर्न प्रिंटिंग ग्रुप ने पहली बार संविधान की एक हजार प्रतियां प्रकाशित की जिसको फोटोलिथोग्राफिक तकनीक से प्रकाशित किया गया बेहद ख़ूबसूरती से हाथ से लिखी गई मूल प्रति आज भी नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में मौजूद है, जबकि उन ऐतिहासिक पलों को संजोने के लिए यादगार के तौर पर संविधान की एक प्रति संसद के पुस्तकालय में तो एक अन्य प्रति आज भी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम में सुरक्षित है।
भारतीय संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित थी। इसमें टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था। दोनों ही भाषाओं में संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था।भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसी आधार पर भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र कहा जाता है। भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां शामिल हैं। यह 2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था। 26 नवंबर 1949 को लागू होने के बाद संविधान सभा के 284 सदस्यों मे 24 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद 26 जनवरी को इसे लागू कर दिया गया। बताते हैं कि जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे उस दिन खूब जोर की बारिश हो रही थी। इसे शुभ संकेत के तौर पर माना गया…. आज हमारा देश एक बार फिर संविधान दिवस के दिन उन महान शख्सियतों को नमन कर रहा है जिन्होंने भारत देश को ये अद्भुत और खूबसूरत संविधान दिया