Friday, April 26, 2024
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1983 बैच के IFS और उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक जयराज का कामयाब सफ़रनामा 

  • आईएफएस जयराज की पहली तैनाती DFO टिहरी के लिए हुयी थी 
  •   वन चिकित्सालय ट्रस्ट हल्द्वानी के सदस्य सचिव भी रहे IFS जयराज
  •   दून के सेंट जोजेफ से स्कूलिंग शाहजहांपुर के गांधी फैज़ान कॉलेज से ग्रेजुएशन किया
  •   1983 में UPSC के जरिये उन्होंने इंडियन फारेस्ट सर्विस के लिए क़्वालिफ़ाई किया
  •   1996 में सुशीला तिवारी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल निर्माण में थी अहम भूमिका
  •      जीव जंतु , पेड़ पौधे और पर्यावरण को संरक्षण देने वाले जयराज है प्रभावी मोटिवेटर 

अपनी ख़ास कार्यशैली में पारदर्शिता और रफ़्तार के साथ योजनाओं को सफल बनाने वाले 1983 बैच के आईएफएस अधिकारी और उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने अपने सर्विस के दौरान कई आयाम स्थापित किये हैं। हेड ऑफ द फॉरेस्ट फोर्स बनते ही उत्तराखंड की सभी इकाइयों में एक आदेश ज़ारी कर जयराज ने बता दिया था की उनके काम करने का न सिर्फ अंदाज़ अलग है बल्कि अपनी टीम से वो चाहते क्या हैं … 

पीसीसीएफ परियोजना का दायित्व संभालने वाले जयराज को जब उत्तराखंड सरकार में प्रमुख वन संरक्षक का ज़िम्मा मिला तो उन्होंने कुर्सी सम्हालते ही एक आदेश ज़ारी किया जिसके तहद राज्य और ज़िला मुख्यालय में समय गुज़ारने वाले वन अधिकारियों के लिए जंगल में जाकर रात बिताना अनिवार्य किया गया इतना ही नहीं उन्होने खुद जंगल जंगल पहाड़ पहाड़ दौरे कर जंगलों में हालात सुधारने की शुरुआत कर दी थी….. 

इसके पहले  की बात करें तो जयराज की पहली तैनाती डीएफओ टिहरी के लिए थी। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर दायित्वों का निर्वहन किया। वह वन चिकित्सालय ट्रस्ट हल्द्वानी के सदस्य सचिव भी रहे। उनके कार्यकाल में ही 1996 में वहां सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज की बुनियाद रखी गई। 

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव के पद पर रहते हुए जयराज ने क्लाइमेट चेंज एक्शन प्लान बनाने में अहम भूमिका निभाई …..   

अब आपको थोड़ा पीछे ले चलते हैं और बताते हैं उत्तराखंड में फारेस्ट डिपार्टमेंट चीफ की कामयाब ज़िम्मेदारी निभाने वाले आईएफएस अधिकारी जयराज के कैरियर के बारे में ……. भारतीय वन सेवा के शिखर तक पहुँचने वाले जयराज की शुरूआती पढ़ाई देहरादून में ही हुयी जहाँ उन्होंने सेंट जोजेफ अकेडमी से  स्कूलिंग पूरी की इसके बाद उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के गांधी फैज़ान कॉलेज से ग्रेजुएशन किया …. शुरूआती दिनों से ही जीव जतुओं और पेड़ पौधों में ख़ास दिलचस्पी रखने वाले जयराज ने कामयाबी हासिल की 1983 में जब यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिये उन्होंने  इंडियन फारेस्ट सर्विस के लिए क़्वालिफ़ाई किया …. प्रतिभाशाली स्टूडेंट और फिर शानदार टीम लीडर के रूप में जयराज ने इसके बाद तो कई मिसाल कायम की । जीव जंतु , पेड़ पौधे और पर्यावरण को संरक्षण देने को अपने ज़िंदगी का लक्ष्य बनाने वाले  जयराज एक बेहतरीन मोटिवेटर भी हैं कई बार अलग अलग मंचों पर उन्होंने कहा की ऑल इंडिया सर्विस में ओहदे के साथ मिलती है ज़िम्मेदारी है जिससे होती है देश के फेडरल स्ट्रक्चर को बनाये रखने का ज़ज़्बा  …..  

वन और पर्यावरण प्रेमी जयराज ये भी मानते हैं कि हमारे विज्ञान में खास तौर पर लाइफ साइंस के बॉटनी जुलोजी में आज सबसे ज्यादा फोकस करने की ज़रूरत है। फारेस्ट सर्विसेस में ऑफिसर का कीन ऑब्जर्वर होना भी  बेहद ज़रूरी क्वालिटी होती है …. अपने शानदार कैरियर में जयराज का ये भी मानना रहा है कि फारेस्ट ऑफिसर क्लोज टू नेचर होता है जिसकी वजह से उनकी ड्यूटी रिलेक्स और एन्जॉयफुल जॉब होती है इसलिए ये हर फारेस्ट ऑफिसर का सौभाग्य होता है कि वो वन महकमे में रहते हुए ऐसी सर्विस में आते हैं। आईएफएस जयराज मानते हैं की  वन महकमे के सामने आज कई बड़ी चुनौतियां भी हैं …. अंतर्राष्ट्रीय बाजार के अवैध ट्रेड में वाइल्ड एनिमल्स के पार्ट्स की स्मगलिंग और जानवरों की पोचिंग सबसे बड़ी चुनौती बताते है इतना ही नहीं जंगल की ज़मीन बचाना और पेड़ों की सुरक्षा भी बड़ी चुनौती है …..

एक मार्गदर्शक के तौर आईएफएस  बनने की  तैयारी कर रहे युवओं को नसीहत देते हुए आईएफएस जयराज कहते हैं कि फारेस्ट डिपार्टमेंट में  हर दिन एक्शन ओरिएंटेड होता है क्यूंकि वन विभाग को अपने प्रॉपर्टी की रक्षा करने के लिए घने खतरनाक जंगलों में दिन रात घूमना पड़ता है यानी फील्ड में रहते हुए सख्त ड्यूटी निभानी पड़ती है। इसलिए अगर आप रोमांच प्रकृति और जीव प्रेमी हैं तो आप इस फील्ड का मज़ा लेते हुए प्रकृति की रक्षा के साथ साथ जीव जन्तुयों की सुरक्षा का दायित्व बेहतरीन निभा सकते हैं … जय भारत टीवी ऐसे कामयाब और शानदार शख्सियत को उनके नए सफर की शुभकामनाएं देता है 

 

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