एचसीक्यू को बदनाम करने के लिए कैसे हो रही है अंतरराष्ट्रीय साजिश
साइंस जर्नल लांसेट भले ही हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन (एचसीक्यू) पर प्रकाशित शोधपत्र के डाटा की जांच कर रहा हो और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी ट्रायल फिर से शुरू कर दी है, लेकिन इससे गहरे अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका गहरा गई है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस को रोकने में एचसीक्यू के कारगर होने की पुष्टि होने के साथ ही इसके खिलाफ साजिश की शुरुआत हो गई थी। लांसेट में प्रकाशित कथित शोध उसी की परिणति है। साजिश की पुष्टि इस बात से भी होती है कि पहले एचसीक्यू के कोरोना मरीजों के लिए जानलेवा साबित होने के दावे किए गए। इस दावे की हवा निकलने के तत्काल बाद कोरोना वायरस को रोकने में इसके कतई भी असरकारी नहीं होने की बात कही जाने लगी है।