रिटायरमेंट के दहलीज़ पर हरीश रावत की ताबड़तोड़ बैटिंग के क्या हैं मायने ?
क्या आप जानते हैं उत्तराखंड में मौजूदा सरकार यानि भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार से दो दो हाँथ करने में कांग्रेस के सीनियर लीडर हरीश रावत अपनी पार्टी खेमे में इतने उतावले और योजनाबद्ध तरीके से सक्रिय क्यों है ? दरअसल हरीश रावत अभी एक और पारी खेलने के मूड में हैं और इसके लिए वो अपनी वृद्ध होती काया और अलग थलग पड़ती छाया को धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
यही वजह है कि धरना स्पेशिलिस्ट बन चुके हरदा जब कोई एलान करते हैं तो खेमो में बंटी पार्टी को काफी कसरत करनी पड़ती है। बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर प्रदेश में सरकार विरोधी हवा बनाने में जुटे पूर्व सीएम हरदा अब किसानों के मुद्दे पर अपनी पसंदीदा धरना पॉलिटिक्स करने जा रहे हैं।
चुनाव आने की भले ही आहट सरकार को न सुनाई पड़ रही हो लेकिन हरीश रावत तो पुराने गणितज्ञ हैं उन्होंने पूरा हिसाब लगाकर फुल फॉर्म में अब त्रिवेंद्र सरकार की नीतियों पर हमलावर होने लगे हैं। सोशल मीडिया के जरिये किसानों से संवाद करते हुए हरीश रावत ने एलान किया है कि अगर किसानों के गन्ने के मूल्य का सरकार ने तुरंत भुगतान नहीं किया तो वो 9 सितम्बर को काशीपुर में गन्ना आयुक्त कार्यालय पर धरने पर बैठ जायेंगे। आपको बता दें कि काशीपुर में किसानों का गन्ना भुगतान पिछले कई सालों से लंबित है क्यूंकि मिल बंद होने के बाद से किसानों का लाखों का पेमेंट हुआ ही नहीं है।
जानकार मानते हैं की हरीश रावत के दिल में मुख्यमंत्री की दावेदारी आज भी जवान हैं लिहाज़ा उत्तराखंड में चुनाव की घड़ी जैसे जैसे करीब आएगी पूर्व सीएम रावत न सिर्फ पहाड़ मैदान एक कर देंगे बल्कि सोशल मीडिया के सहारे घर घर किसानों, युवाओं, व्यापारियों और विभिन्न समाजिक संगठनों के बीच अपनी बात भी पहुंचाएंगे। किसानों के मुद्दे पर अब हरीश रावत ने कोरोना के चलते काशीपुर में जसपुर के अपने कुछ ही साथियों के साथ ही गन्ना आयुक्त के कार्यालय पर धरने पर बैठने की बात कही है….
देखना है आने वाले दिनों में हरीश रावत की सक्रियता सरकार के साथ साथ कितने कोंग्रेसियों की नींद उडाएगा।