पूर्व विधायक राव अब्दुल वारिस ने कांग्रेस छोड़ रालोद का दामन थमा, माता राव मसर्रत बेगम भी हुई शामिल
-आकांक्षा थापा
शामली के थानाभवन से पूर्व विधायक रहे राव अब्दुल वारिस ने आज रालोद का दामन थाम लिया है । आज उन्होंने दिल्ली में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के सामने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। आपको बता दें की वारिस 2007 में रालोद से विधायक चुने गए थे और दो बार बसपा के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं।
वहीं, पूर्व विधायक राव अब्दुल वारिस के काफी समय से रालोद में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। आपको बता दें, वारिस 2007 में रालोद के टिकट पर थानाभवन से पहली बार विधायक बने थे… जिसके बाद वह बसपा में शामिल हो गए तथा 2012 और 2017 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा। 2012 के चुनाव में उन्हें करीब 50 हजार तथा 2017 में करीब 74 हजार वोट मिले थे। लेकिन नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बसपा छोड़ने के बाद उन्होंने भी पार्टी से किनारा कर लिया था..
वारिस के पिता राव अब्दुल राफे खां थानाभवन से ही स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की पार्टी से 1969 में विधायक चुने गए थे। साथ-साथ उनकी माता राव मसर्रत बेगम भी 2000 में भारतीय किसान कामगार पार्टी से चुनाव लड़ीं। इस दौरान राव वारिस के साथ पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्दिकी और राव वारिस की अम्मी मुसर्रत बेगम भी थीं। उन्होंने इस मौके पर कहा राष्ट्रीय लोकदल उनका पुराना घर है। उनके वालिद मरहूम राव अब्दुल राफे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के अनुयाई रहे हैं।
साथ ही, उन्होंने चौधरी अजीत सिंह से जुडी एक बात कही, उन्होंने कहा की मेरा स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह से गहरा नाता रहा है। उन्होंने जयंत चौधरी को आश्वस्त किया कि वह रालोद की नीतियों को जन जन तक पहुंचाने का काम करेंगे ….