Friday, April 19, 2024
उत्तराखंड

नियुक्ति मामले में पूर्व मंत्री अरविंद पांडे ने पेश की नैतिकता की मिसाल, सामने आकर बोले सीबीआई जांच के लिये तैयार

पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने अपने रिश्तेदारों की नौकरी लगाने के आरोपों का पुरजोर खंडन किया है। मंत्री अरविंद पांडे ने इस मामले में किसी भी जांच के लिए तैयार होने की बात कही है। यहां तक कि उन्होंने साफ कर दिया है कि अगर वो जांच में दोषी पाए जाते हैं तो हर सजा भुगतने को तैयार हैं।
जी हां उत्तराखण्ड में इन दिनों सरकारी नौकरियों में फर्जी नियुक्ति के मामले जोर शोर से उठ रहे हैं। आये दिन सोशल मीडिया में किसी न किसी विभाग से जुड़ी भर्तियों की सूची वायरल हो रही है और उसमें किसी न किसी नेता को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसी ही एक सूची पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे को लेकर सोशल मीडिया में वायरल की गई है। जिसमें बताया गया है कि पूर्व मंत्री अरविंद पांडे ने अपने रिश्ते नातेदारों को शिक्षा विभाग में नियुक्तियां दी हैं। सूची तो विधानसभा में हुई फर्जी नियुक्तियों की भी जारी हुई लेकिन ऐसे आरोपों का जवाब देने का नैतिक साहस कोई और नेता नहीं दिखा पाया। जो साहस पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने दिखाया है। उन पर लग रहे अरोपों का जवाब देने खुद मंत्री अरविंद पांडे मीडिया के सामने आये और उन्होंने वायरल हो रही सूची को षड़यंत्र बताया। मंत्री अरविंद पांडे का दावा है कि जिन लोगों की नियुक्तियां हुई हैं उन्होंने परीक्षाओं के हर नियम का पालन किया है तब जाकर उन्हें नियुक्ति मिली हैं। मंत्री अरविंद पांडे ने साफ कर दिया है कि वो हर जांच के लिये तैयार हैं, ऐसे वक्त में जब घोटालेबाज अपनी जान बचाने के के लिये ऐड़ी चोटी का जोर लगाये हुये हैं तब एक पूर्व मंत्री का खुद की जांच कराने का फैसला वाकई में उनके नैतिक साहस को दर्शता है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि अरविंद पांडे ही वो शिक्षा मंत्री हैं जिन्होंने इंटरव्यू में दिये जाने वाले 25 अंकों के नियम को बदलकर 5 अंक किया था। इकसे साथ ही पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने ये प्रावधान भी अनिवार्य रूप से लागू किया था कि इंटरव्यू में अभ्यर्थियों को कमसेकम 3 अंक अवश्य दिये जाएं। इससे इंटरव्यू में होने वाले घालमेल में लगभग पूरी तरह रोक लग गई। क्योंकि पूरा खेल ही इंटरव्यू में किया जाता था। चहेते इंटरव्यू में इतने अंक पा जाते थे कि उनकी नियुक्ति हो जाती थी और होनहार युवा रह जाते थे।

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