अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व है दशहरा
देहरादून- आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को आज पूरे देश में दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है। सत्य की असत्य पर जीत के इस पर्व को विजयादशमी भी कहते हैं। इतना ही नहीं ये पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति व शरद के प्रारंभ होने की सूचना भी देता है। इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था। दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था जिसे ब्रह्मा से आशीर्वाद मिला था कि पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति उसे नहीं मार सकता।
इस आशीर्वाद के कारण उसने तीनों लोक में हाहाकार मचा रखा था। इसके बढ़ते पापों को रोकने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्ति को मिलाकर मां दुर्गा का सृजन किया। मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर का मुकाबला किया और दसवें दिन मां दुर्गा ने इस असुर का वध किया। जिसके फलस्वरूप लोगों को इस राक्षस से मुक्ति मिल गई और चारों तरफ हर्ष का मौहाल हो गाया। क्योंकि मां दुर्गा को दसवें दिन विजय प्राप्त हुई थी इस कारण इस दिन को दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा।