प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पंद्रह अगस्त दो हज़ार चौदह को लालकिले से सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की तो देश भर के ग्रामीदों में नयी उम्मीद जगी कि शायद अब उनके गाँव जो विकास और सुविधाओं से कोसों दूर है उनके दिन बहुरेंगे …. इस योजना के तहत प्रत्येक सांसद को गांवों को गोद लेकर इसे आदर्श ग्राम के तौर पर विकसित करना था…. लिहाज़ा बड़े ज़ोर शोर से पार्टी सांसदों और तमाम संसद सदस्यों ने योजना की शुरुआत 11 अक्टूबर 2014 को की थी ….. लेकिन आज दो हज़ार बीस के मिड में सांसद आदर्श ग्राम योजना के प्रभाव का आकलन करने के लिए बनाई गई एक समिति ने योजना और सांसदों की पोल खोल कर रख दी है…
समिति की रिपोर्ट पर गौर करें तो इसमें बताया गया कि योजना के लिए कोई समुचित फंड नहीं है और सांसदों ने बीते सालों में इसमें कोई ख़ास रुचि नहीं दिखाई है, जिसके कारण योजना बेहद बुरे हाल में आ गयी है … इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना का अब तक किसी गाँव में कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है और न ही मकसद में ये योजना कामयाब हुई है.ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के प्रदर्शन से संबंधित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना की समीक्षा की भी जानी चाहिए ….
आपको बता दें कि केंद्र ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन और उनके प्रभाव के आकलन के लिए एक साझा समीक्षा मिशन का गठन किया था…… अपनी रिपोर्ट में सीआरएम ने कहा है कि एसएजीवाई के लिए कोई विशेष फंड नहीं है, जिससे योजना पर बुरा प्रभाव पड़ा है….. आलम ये है कि किसी और बजट के सहारे कोष जुटाया जाता है….. सीआरएम के मुताबिक राज्यों का दौरा करने के बाद उन्हें योजना का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव दिखाई नहीं दिया है सीआरएम ने कहा कि इस योजना के तहत सांसदों द्वारा गोद लिए गए गांवों में भी सांसदों ने अपनी क्षेत्र विकास निधि से इसके लिए पर्याप्त रकम आवंटित नहीं की……
सीआरएम के मुताबिक ऐसे में इन गांवों को आदर्श ग्राम नहीं कहा जा सकता और इस योजना की समीक्षा की जानी चाहिए……. सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजीव कूपर की अध्यक्षता में सीआरएम के 31 सदस्यीय दल ने नवंबर में आठ राज्यों के 21 जिलों के 120 गांवों का दौरा किया था…. इन आठ राज्यों में छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. Media Reports के मुताबिक समिति ने गांवों की बिगड़ी हुई स्थिति बयां करने के लिए कुछ उदाहरण भी दिए हैं…… जैसे कि मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के आरूद गांव में योजना के तहत कुल 118 तरह के कार्य कराए जाने थे लेकिन अभी तक सिर्फ 60 फीसदी कार्यों को ही पूरा किया जा सका है और बाकी काम फंड की कमी की वजह से लंबित हैं.वहीं केरल के कल्लीक्कड़ ग्राम पंचायत में मिशन की टीम को योजना के तहत कोई विशेष उपलब्धि दिखाई नहीं दी. फिर भी इस गांव को एसएजीवाई के तहत बड़ी उपलब्धि के रूप में दिखाया जाता है….
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के एक गांव का दौरा करने पर टीम ने कहा, यह विडंबना ही है कि आदर्श ग्राम यह गांव तक खुले में शौच मुक्त घोषित नहीं हुआ है….. यूपी के ही हरदोई जिले के एक आदर्श गांव का दौरा करने के बाद समिति ने कहा, ‘कुल मिलाकर योजना का यहां कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है.’सीआरएम ने कहा कि उन जगहों पर अच्छा काम हुआ है जहां पर सांसदों ने योजना में रुचि दिखाई है और सांसद निधि के तहत उचित राशि आवंटित की है….देखना होगा कि पीएम मोदी के सबसे बड़े अभियान में शामिल सांसद आदर्श ग्राम योजना की ये आँखे खोल देने वाली रिपोर्ट के बाद सरकार क्या फैसला करेगी