Tuesday, April 16, 2024
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क्रिसमस डे 2021 : जानिये आखिर क्यों ईसा मसीह के जन्म दिन पर बच्चे करते है सैंटा क्लॉज का इंतजार

हर साल पुरे विश्व में 25 दिसंबर को ईसाइयो का प्रमुख त्योहार क्रिसमस बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन ईसा मसीह यानी यीशु का जन्म हुआ था। ईसा मसीह को यीशु, क्राइस्ट और जीसस क्राइस्ट के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि जीसस क्राइस्ट को भगवान का बेटा कहा जाता है। क्रिसमस का नाम भी क्राइस्ट से ही पड़ा। वैसे तो बाइबल में जीसस की कोई बर्थ डेट नहीं दी गई है, लेकिन फिर भी 25 दिसंबर को ही हर साल क्रिसमस मनाया जाता है। इस तारीख को लेकर बहुत बार विवाद भी हुए थे। लेकिन 336 ई.पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट के समय में सबसे पहले क्रिसमस 25 दिसंबर को मनाया गया। इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस ने आधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान किया गया। क्रिसमस से जुडी कुछ मान्यतायें भी है।

इस दिन सैंटा क्लॉस का बच्चे बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं और बच्चों को नए नए उपहार दिए जाते है। दरअसल सैंटा को एक देवदूत माना जाता है जो घर-घर घूमकर सबकी परेशानियों के समाधान करते है। एक और बड़ी मान्यता यह भी है कि क्रिसमस के दिन कुछ देशों में ईसाई परिवारों के बच्चे रात के समय अपने-अपने घरों के बाहर अपनी जुराबें रख देते है। इसके पीछे भी यह मान्यता रही है कि सैंटा क्लॉज रात के समय आकर उनकी जुराबों में उनके मनपसंद उपहार भर दें। सभी लोग अपने अपने तरीके से इस दिन को मनाते है। कुछ लोग सपने घरो को अच्छे से सजाकर एक क्रिसमस ट्री भी लगते है जिसे शुभ माना जाता है।

जानिये सैंटा क्लॉज की कहानी
ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस पर बच्चों को उपहार देने की प्रथा संत निकोलस ने शुरू की थी। निकोलस को बच्चों से बेहद स्नेह और प्यार था उनका जन्म चौथी शताब्दी में हुआ था। निकोलस हमेशा गिफ्ट और चॉकलेट खरीदकर खिड़की के माध्यम से बच्चों को दिया करते थे। उनके इस कार्य के लिए उन्हें बिशप बना दिया गया। कुछ समय में ही संत निकोलस यूरोप में प्रसिद्ध हो गए। लोग उन्हें क्लॉज कहकर पुकारने लगे। उन्हें संत की उपाधि दी, तो लोग उन्हें सांता क्लॉज या सैंटा क्लॉज कहकर पुकारने लगे।

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