Friday, April 26, 2024
उत्तराखंड

नेहा कक्कड़ के पहले गुरू बिशन आजाद बदहाली में, मुफलिसी और गुमनामी में काट रहे हैं दिन

देहरादून- मशहूर गायिका नेहा कक्कड़ के पहले गुरू बिशन आजाद इन दिनों गुमनामी और मुफलिसी में दिन काट रहे हैं। वह देहरादून के मोती बाजार में एक छोटे से टिन के झोपड़े में रहने को मजबूर हैं। बिशन आजाद ने ही नेहा कक्कड़ को सात वर्ष की उम्र में पहली बार माता के भजन गाने का मौका दिया था।

बिशन आजाद ने बताया कि जब नेहा 7 साल की थीं तब वह पहली बार देहरादून में आयोजित एक जगराते में आईं थीं। तब नेहा ने गाने की जिद की थी। तो उन्होंने नेहा को माइक देते हुये कहा था जा बेटा गा, और छा जा। आज नेहा संगीत की दुनिया में छा गई हैं। लेकिन आजाद वहीं हैं। या कहें कि उनकी जिंदगी मुफलिसी में कट रही है। आजाद मोती बाजार में एक छोटे से टिन के झोपड़े में गुजर-बसर कर रहे हैं। कुछ दिन पहले नेहा कक्कड़ ने बिशन आजाद के साथ अपना एक फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर किया था।

नेहा ने लिखा था कि यह उनके पहले गुरू हैं। आपको बता दें कि उत्तराखण्ड में जन्मी नेहा का फर्श से अर्श तक का सफर बेहद मुश्किलों भरा रहा है। नेहा की कामयाबी के पीछे बेशक उनकी खुद की मेहनत है। लेकिन वो कबीर ने कहा है ना कि – गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मौष। यानी बिना गुरू के व्यक्ति को न ज्ञान मिलता है न मोक्ष। नेहा कक्कड़ के ऐसे ही गुरू हैं बिशन आजाद।

आपको मालूम होगा कि नेहा कक्कड़ ने गायन की शुरूआत माता रानी के जगरातों से की थी। वह ऋषिकेश, देहरादून में माता के जगरातों में भजन गाया करती थीं। तब बिशन आजाद ही थे जिन्होंने नेहा को देहरादून में सबसे पहले माता के भजन गाने के लिये मंच दिया था। लेकिन नेहा के गुरू आजाद जिन हालात में जी रहे हैं उसे देखकर न केवल आप बल्कि खुद नेहा का दिल भी पसीज जाएगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *