बसंत पंचमी 2022ः इस बार बन रहा है त्रिवेणी योग, जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
देहरादून- इस बार 5 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस बार बसंत पंचमी पर त्रिवेणी योग बन रहा है। 4 फरवरी को सुबह 7 बजकर 10 मिनट से 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 40 मिनट तक सिद्ध योग रहेगा। 5 फरवरी को शाम 5 बजकर 41 मिनट से अगले दिन 6 फरवरी को शाम 4 बजकर 52 मिनट का साध्य योग रहेगा। इसके अलावा इस दिन रवि योग का शुभ संयोग होने से त्रिवेणी योग बन रहा है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक यानी 5 घंटे 28 मिनट तक रहेगा।
उत्तराखण्ड में बसंत पंचमी की अनूठी परंपरा
पूरे भारत में बसंत पंचमी का त्यौहार 05 जनवरी 2022 को मनाया जाएगा। इस त्यौहार को माँ सरस्वती के जन्म के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है। इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत भी होती है। पहाड़ी राज्यों में भी इस त्यौहार की अपनी मान्यताएं हैं। दरअसल उत्तराखंड में बसंत ऋतु के आगमन को कुछ अलग ढंग से मनाया जाता है। पर्वती क्षेत्रों में जिनके घरों में गाय होती है वह लोग गाय के गोबर से पुताई करते हैं साथ ही गोबर और हरियाली के मिश्रण को दहलीज पर चिपकाते हैं। घरों में नए-नए पकवान बनाये जाते हैं। सभी लोग पीले वस्त्र पहनकर पितृ पक्ष की पूजा करते हैं। इस दिन नन्हीं बालिकाओं के नाक-कान छिदवाने की भी परंपरा है।
किसानों के लिये बसंत पंचमी का विशेष महत्व
किसानों के लिए यह त्यौहार और भी शुभ माना जाता है। करीब छह माह के बाद फिर से खेतों में बुआई का काम शुरू किया जाता है। कहते है बसंत ऋतु, नई ऋतु के आगमन में लोग खेतों की बुवाई कर हलजोत की रस्म करते हैं। जिनके घरों में खेत और बैल होते हैं वह लोग पहले खेतों को पूजते हैं । घर की मुख्य कुदाल, फूल, हल्दी, टीका पानी, खाद अगरबत्ती लेकर खेतों में जाती है और बैलों के साथ खेतों में बुआई करते हैं। वहीं जिन लोगों के पास बैल नहीं होते वे कुदाल से खुद ही खेत में एक जगह पर खुदाई कर जमीन तैयार करते हैं। माना जाता है कि इस दिन धरती मां से अच्छी पैदावार के लिए आशीर्वाद लिया जाता है। मैदानी लोग भी हलजोत की इस रस्म को जीवित रखने के लिए अपने अपने गमलांे में नए नए पौधे लगातें हैं।