बैकुंठ चतुर्दशी 2021 : आज उत्तराखंड के कमलेश्वर मंदिर में होगा ये खास अनुष्ठान
हिन्दू धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व माना जाता है ,इसमें विष्णु भगवान की पूजा की जाती है.. इस महीने कई धार्मिक आयोजन और त्यौहार भी आते हैं, यह महीना ख़ास तौर पर भगवान विष्णु को समर्पित होता है। ऐसा ही एक विशेष दिन बैकुंठ चतुर्दशी का भी है, जो इस साल आज यानि 17 नवंबर को मनाया जा रहा है। बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर उत्तराखंड के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मंदिर में जगह-जगह से श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं। इस मंदिर में खास पूजा अर्चन की जाती है और माना जाता है की निसंतान दंपतियों की भी गॉड भर जाती है।
ऐसे होता है यह खास अनुष्ठान
कार्तिक मास में रखा जाने वला यह व्रत अलग ढंग से होता है और इसमें पूजा भी अलग प्रकार की होती है… संतान प्राप्ति के लिए महिलायें बैकुंठ चतुर्दशी के दिन खड़े दिए की पूजा करती हैं, इस पूजा को काफी कठिन मन जाता है… इसमें महिलाएं सुबह से व्रत रखती हैं और फिर रात को ममंदिर में स्थापित शिवलिंग के सामने दिया हाथ में लिए रातभर खड़ी रहती हैं और संतान प्राप्ति के लिए वरदान मांगती हैं। इस साल इस अनुष्ठान में 182 दम्पति हिस्सा लेंगे, मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया की 182 दम्पतियों ने अनुष्ठान के लिए पंजीकरण कराया है। दंपतियों को गोधुली वेला में पूजा करने के बाद दीपक दिए जायेंगे … 18 नवंबर की तड़के स्नान और पूजा के पश्चात श्रीसंवाद दिया जाएगा।
बता दें, बैकुंठ चतुर्दशी बुधवार सुबह नौ बजे से गुरुवार पूर्वाह्न 11 बजे तक रहेगी, इस दौरान पूजाएं होंगी। मंदिर में परिवार की खुशहाली के लिए रुई की बत्तियां भी भगवान शिव को अर्पित की जाएगी। इसमें पूरे साल के हिसाब से 356 बत्तियां चढ़ाई जाती हैं। महंत ने बताया कि हर साल सरकार और पालिका की ओर से मंदिर को सजाया जाता है। लेकिन इस बार कोई मदद नहीं की गई है…. जिससे भक्तगण निराश हैं।
आज से लेकर 22 नवम्बर तक पड़ेंगे ये व्रत-त्यौहार
- 17 नवंबर (बुधवार): कार्त्तिक शुक्ल त्रयोदशी प्रात: 9.51 बजे तक उपरांत चतुर्दशी। बैकुंठ चतुर्दशी। श्री काशी विश्वनाथ प्रतिष्ठा दिवस।
- 18 नवंबर (गुरुवार) : कार्त्तिक शुक्ल चतुर्दशीमध्याह्न 12.01 बजे तक उपरांत पूर्णिमा। व्रत की पूर्णिमा। त्रिपुर सुंदरी पूर्णिमा।
- 19 नवंबर (शुक्रवार) : कार्त्तिक शुक्ल पूर्णिमा मध्याह्न 2.28 बजे तक तदनंतर प्रतिपदा। स्नान-दान-व्रतादि की कृत्तिका नक्षत्रयुता कार्त्तिक पूर्णिमा। मत्स्यावतार पूर्णिमा। मन्वादि पूर्णिमा। श्री गुरुनानक देव जयंती।
- 20 नवंबर (शनिवार) : मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा सायं 5.05 बजे तक तदनंतर द्वितीया। अशून्य शयन द्वितीया व्रत। मृगछोड़ी स्नान प्रारम्भ।
- 21 नवंबर (रविवार) : मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया सायं 7.48 बजे तक तदनंतर तृतीया।
- 22 नवंबर (सोमवार) : मार्गशीर्ष कृष्ण तृतीया रात्रि 10.28 बजे तक तदनंतर चतुर्थी। सूर्य सायण धनु राशि में प्रात: 8 बज कर 3 मिनट पर। राष्ट्रीय मार्गशीर्ष मास आरम्भ।