आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार को नृसिह मंदिर में विराजमान हो गई है। इस दौरान सैकड़ों स्थानीय लोगों ने गद्दी का स्वागत किया। इसी के साथ इस वर्ष की चार धाम यात्रा का भी समापन्न हो गया है।19 नवम्बर को भगवान बदरीनाथ जी के कपाट बंद होने के बाद भगवान कुवेर और उद्वव अपने शीतकालीन पूजा स्थली पाण्डूकेश्वर स्थित योगध्यान मंदिर में विराजमान हुए। अब शीतकाल में छह माह यहीं बदरीनाथ की पूजा-अर्चना होगी। वहीं आज सोमवार को शंकराचार्य की गद्दी अपने शीतकालीन गद्दी स्थल नृसिह मंदिर जोशीमठ में स्थापित हो गई है। इसी के साथ योग बदरी पांडुकेश्वर और नृसिंह बदरी में शीतकालीन पूजायें शुरू हो जायेंगी। शीतकाल में बदरीनाथ धाम से हनुमान चट्टी में 10 किमी तक बर्फ रहती है। इस दौरान धाम में पुलिस और मंदिर समिति के दो कर्मचारी रहते हैं। चीन सीमा क्षेत्र होने के कारण माणा गांव में आईटीबीपी के जवान रहते हैं।