भारतीय राजनीति की एक सामान्य अवधारणा रही है कि यहां कम पढ़े लिखे लोग भी आसानी से राजनेता बन जाते हैं। अकसर ऐसा होता है कि चुनाव के वक्त जनता को पढ़े-खिले नेता खोजे नहीं मिलते और मजबूरन उन्हें राजनीतिक दलों की ओर से खड़े किये गये अनपढ़ प्रत्याशी को ही अपना वोट देना पड़ता है। शिक्षित नेताओं के मामले में कमोबेश उत्तराखण्ड की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही रही है। राज्य में अब तक भाजपा और कांग्रेस की ही सरकार रही है और दोनों दलों में कम पढ़े-लिखे नेताओं का कोई अकाल नहीं है। लेकिन इस बार सूबे की राजनीति में कुछ बदलाव महसूस किया जा रहा है। यह बदलाव आम आदमी पार्टी द्वारा अब तक जारी की गई प्रत्याशियों की लिस्ट से समझा जा सकता है। जहां आम आदमी पार्टी ने अधिकांश टिकट उन लोगों को बांटे हैं जो या तो इंजीनियर हैं, या डॉक्टर हैं, या शिक्षक हैं या फिर एलएलबी धारक हैं। इक्का दुक्का प्रत्याशियों को छोड़ दें तो अब तक के सभी प्रत्याशी ग्रेजुएट हैं। केदारनाथ से आप प्रत्याशी सुमंत तिवारी बीएड धारक हैं। टिहरी से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी त्रिलोक सिंह नेगी इंजीनियर हैं। धनौल्टी से आप प्रत्याशी अमेंद्र बिष्ट बीकॉम धारक हैं। रायपुर से प्रत्याशी नवीन पिरशाली एमबीए धारक हैं। राजपुर रोड से आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल सिंह एलएलबी पास हैं। देहराूदन की कैंट विधानसभा से आप प्रत्याशी रविंद्र आनंद बीकॉम धारक हैं। पिरान कलियर से प्रत्याशी शादाब आलम इंजीनियर हैं। अल्मोड़ा प्रत्याशी अमित जोशी भी इंजीनियर हैं। कपकोट से प्रत्याशी भूपेश उपाध्याय बीबीए धारक हैं। लोहाघाट से आप प्रत्याशी राजेश बिष्ट शिक्षाविद् हैं। रामनगर से प्रत्याशी शिशुपाल सिंह रावत भी शिक्षाविद् हैं। भीमताल से प्रत्याशी बनाये गये सागर पांडेय एमबीए हैं। नैनीताल से प्रत्याशी भुवन चंद आर्य डॉक्टरेट हैं। इसके अलावा बाकी प्रत्याशी भी कम से कम बीए, बीएससी या बीकॉम धारक हैं। अब देखना है कि जनता का साथ पढे-खिले प्रत्याशियों को मिलता है या फिर जनता राजनीतिक दलों की विचारधारा, अनुभव जैसी कसौटी पर कसकर अपना फैसला देगी।