अनुशासन का दंभ भरने वाली भाजपा का अनुशासन उत्तराखण्ड में क्या तार-तार हो रहा है। एक दिन पहले रायपुर से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काउ सरेआम मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में बीजेपी के अपने ही नेताओं से भिड़ गये। यहां तक की उमेश शर्मा काउ ने बीजेपी के एक जिला पंचायत सदस्य को औकात में रहने की नसीहत तक दे डाली। अपने विधायक की इस करतूत के सदमे से भाजपा अभी उबरी भी नहीं थी कि रूड़की में महापौर और विधायक देशराज कर्णवाल के समर्थक आपस में भिड़ पड़े। इस दौरान मंच पर मौजूद कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद देखते रह गये। पार्टी नेताओं के बीच खुलेआम चल रहे झगड़े भाजपा के लिये चुनावी साल में किसी झटके के कम नहीं है। यही कारण है कि पार्टी ने झगड़ने वाले तमाम नेताओं पर जांच बिठा दी है।
चुनावी साल है और सत्ताधारी भाजपा के नेता सरेआम झगड़ रहे हैं। ऐसे में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भला कैसे चुप रहे। इधर भाजपा के विधायक और पार्टी नेताओं में झगड़े उजागर हुये उधर इस मुद्दे को कांग्रेस ने लपक लिया। कांग्रेस ने सत्ताधारी भाजपा के घर में चल रहे झगड़ों को मुद्दा बनाकर बीजेपी की खींचाई शुरू कर दी। कांग्रेस ने चुटकी लेते हुये कहा कि आखिर भाजपा कब तक अपने झगड़ों को छुपा पाती अब खुलकर बीजेपी की कलह बाहर निकलने लगी है। ये बात अलग है कि कांग्रेस के खुद के घर में झगड़े चल रहे हैं। रंजीत रावत और पूर्व सीएम हरीश रावत के बीच चल रही तकरार किसी से छुपी नहीं है।
उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुये हैं ऐसे में अगर भाजपा नेताओं से उनकी लड़ाई उजागर होती है तो कांग्रेस का खुश होना लाजमी है मगर यह समस्या अकेले भाजपा की नहीं है भीतर के झगड़े कांग्रेस के भी कम नहीं हैं। ऐसे में देखना होगा कि चुनाव आते-आते दोनों दलों के भीतर चल रही अंदरूनी लड़ाई कहां तक पहुंचती है।