27 सालों से लंबित महिला आरक्षण बिल को आखिरकार केन्द्रीय कैनिबेट की मंजूरी मिल गई है। अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। जिस दिन से केद्र की मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र आहूत किया था तब से ही इस बात की चर्चा हो रही थी कि महिला आरक्षण बिल लाया जा सकता है। ये बिल पहले कांग्रेस भी ला चुकी है मगर तब कांग्रेस इस बिल को पारित नहीं करा पाई थी।
चलिए अब जानते हैं कि आखिर महिला आरक्षण बिल है क्या
महिला आरक्षण बिल के पारित होने के बाद देश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अलग-अलग राजनीतिक दलों में अब महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी और संसद, राज्यसभाओं में महिलाओं के लिये 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। इस बिल के मुताबिक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें एससी-एसटी समुदाय से आनी वाली महिलाओं के लिये आरक्षित हो जाएंगी। इन आरक्षित सीटों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अलग-अलग क्षेत्रों में रोटेशन प्रणाली से आवंटित किया जा सकता है। इस बिल के अनुसार महिलाओं के लिये सीटों का आरक्षण 15 साल के लिये होगा।
मौजूदा समय की बात करें तो लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या 82 और राज्यसभा में 31 है। ऐसे में अगर देखा जाए तो लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी 15 फीसदी और राज्यसभा में महज 13 फीसदी है।
अब जबकि ये बिल संसद में लाया जाना है तो ऐसे में देखना है कि बिल के भीतर एससी, एसटी, ओबीसी महिलाओं के लिये अलग से आरक्षण की व्यवस्था दी जाती है या नहीं।