पद्मश्री प्रीतम भरतवाण बने स्वास्थ विभाग के इस अभियान के ब्रांड एम्बेसडर
-आकांक्षा थापा
हर साल 24 मार्च को विश्व क्षय दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के विषय में जागरूक करना और क्षय रोग की रोकथाम के लिए कदम उठाना है। विश्व टीबी दिवस को विश्व स्वास्थ्यम संगठन जैसे संस्थानों से समर्थन मिलता है। भारत में टीबी के फैलने का एक मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों का सचेत ना होना और इसे शुरूआती दौर में गंभीरता से ना लेना। केंद्र सरकार व स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से संचालित ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान के ब्रांड एंबेसडर गायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण होंगे। क्षयरोग को पूरे देश से समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा यह अभियान चलाया जा रहा है ….यह जानकारी मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अनूप कुमार डिमरी ने पत्रकारवार्ता में दी।
स्वास्थ्य विभाग के संभागीय प्रशिक्षण केंद्र में क्षयरोग उन्मूलन को लेकर आयोजित कार्यशाला में गढ़वाल मंडल की चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशक डॉ. भारती राणा ने कहा कि क्षयरोग को पूरे देश से समाप्त किया जा सके, इसके लिए साल 2025 तक क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। बता दें की इसमें चिकित्सा विशेषज्ञों के अलावा जनसहभागिता जरूरी है…. डॉ. भारती ने बताया की पद्मश्री प्रीतम भरतवाण के अभियान से जुड़ने से क्षयरोग को हराने में हमें सफलता मिलेगी। पद्मश्री प्रीतम भरतवाण ने कहा कि क्षयरोग उन्मूलन जनहित से जुड़ा अभियान है…. उन्होंने कहा हमें संकल्प लेना चाहिए कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के इस दौर में कोई भी व्यक्ति क्षयरोग से अपनी जान न गंवाए .. हमें आम जन तक योजना से जुड़ी जानकारी पहुंचानी होगी , तभी क्षयरोग के विरुद्ध इस लड़ाई में जीत हासिल होगी … इससे पहले डॉ. भारती राणा और डॉ. अनूप कुमार डिमरी ने पौधा भेंट कर तथा शॉल ओढ़ाकर प्रीतम भरतवाण का स्वागत किया। इस दौरान जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. सुधीर पांडेय, प्रशिक्षण केंद्र प्रभारी प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र सिंह कंडारी आदि उपस्थित रहे….
क्या है विश्व क्षय दिवस का इतिहास ?
यह घटना 1882 की तारीख को याद करती है जब डॉ रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की थी, जो बैसिलस है जो तपेदिक (टीबी) का कारण बनता है। डॉ कोच की खोज ने इस बीमारी के निदान और इलाज की दिशा में रास्ता खोल दिया। विश्व टीबी दिवस दुनिया भर में टीबी के प्रभाव के बारे में जनता को शिक्षित करने का दिन है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टीबी दुनिया के सबसे घातक संक्रामक हत्यारों में से एक है। हर दिन, लगभग 4000 लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं और 28,000 के करीब लोग इस रोके और इलाज योग्य बीमारी से बीमार पड़ जाते हैं। वर्ष 2000 से टीबी से निपटने के वैश्विक प्रयासों ने अनुमानित 63 मिलियन लोगों की जान बचाई है।