अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद कंपनी के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं। रिपोर्ट के बाद अडानी कंपनी को भारी नुकसान हुआ है, जिससे अडानी दुनिया में सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में लगातार खिसकते जा रहे हैं। इस हलचल को देखते हुए खुद अडानी ग्रुप ने अडाणी एंटरप्राइजेस लिमिटेड के एफपीओ वापस ले लिया है। इस मामले में अब आरबीआई भी सक्रिय हो गया है। न्यूज एजेंसी रायटर्स के मुताबिक RBI ने भारतीय बैंकों से अडाणी ग्रुप और उनकी कंपनियों को दिए गए लोन की संपूर्ण जानकारी मांगी है।
एफपीओ वापस लेने पर अडानी का जवाब
शुक्रवार को अडानी द्वारा एफपीओ वापस लेने के बाद कंपनी के शेयर में तेजी के साथ गिरावट देखने को मिली। अडानी का कहना है कि उन्होनें बाजार में अस्थिरता को देखते हुए यह फैसला लिया। उन्होने कहा, “मेरे लिए मेरे निवेशकों का हित सर्वोपरि है। इसलिए निवेशकों को संभावित नुकसान से बचाने के लिए हमने FPO वापस ले लिया है।”
मोदी सरकार पर विपक्ष का निशाना
मोदी सरकार को उद्योगपतियों का समर्थक कहा जाता है। इसी वजह से अब विपक्ष को एक बार फिर से मोदी सरकार औऱ अडानी ग्रुप को घेरने का मौका मिल गया है। गुरुवार को बजट सत्र के तीसरे दिन दोनों सदनों में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, जिस वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने इस मामले में अडाणी ग्रुप की कंपनियों की जांच की मांग की।
इस विषय को लेकर विपक्ष के नेताओं ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चैंबर में रणनीति बनाई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, विपक्ष अडाणी मामले में जेपीसी जांच चाहती है।
इन नेताओं में से कईं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच चाहते हैं।