भारत को मिला पहला स्वदेश युद्धपोत, कई खासियतों से लैस है आईएनएस विक्रांत
भारतीय नौसेना को आज अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विमानवाहक पोत को सेवा के लिए नौसेना को सौंप दिया है। विक्रांत भारत में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है। नौसेना में इस कैरियर के शामिल होने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की लिस्ट में भी शामिल हो गया है, जिनके पास खुद विमानवाहक पोत बनाने की क्षमता है।
अब आपको बताते हैं कि स्वेदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत की खासियत क्या है-
सबसे पहली खासियत ये है कि भारत में बने आईएनएस विक्रांत को बानोन में इस्तेमाल 76 फीसदी चीजें स्वदेशी हैं। यानी कुछ कलपुर्जे विदेशों से भी मंगाए गए हैं। विक्रांत के निर्माण के लिए जरूरी युद्धपोत स्तर की स्टील को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया से तैयार करवाया गया है। इस स्टील को तैयार करने में भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला की भी मदद ली गई। नौसेना के मुताबिक, इस युद्धपोत की जो चीजें स्वदेशी हैं, उनमें 23 हजार टन स्टील, 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिक केबल, 150 किमी के बराबर पाइप और 2000 वॉल्व शामिल हैं। इसके अलावा एयरक्राफ्ट कैरियर में शामिल हल बोट्स, एयर कंडीशनिंग से लेकर कूलिंग प्लांट्स और स्टेयरिंग से जुड़े कलपुर्जे भी देश में ही बने हैं।
कोचिन शिपयार्ड में बने आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर है। वहीं, इसकी चौड़ाई भी करीब 62 मीटर है। यह 59 मीटर ऊंचा है और इसकी बीम 62 मीटर की है। युद्धपोत में 14 डेक हैं और 1700 से ज्यादा क्रू को रखने के लिए 2300 कंपार्टमेंट्स हैं। इनमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से केबिन बनाए गए हैं। इसके अलावा इसमें आईसीयू से लेकर चिकित्सा से जुड़ी सभी सेवाएं और वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं भी हैं। आईएनएस विक्रांत का वजन करीब 40 हजार टन है, जो इसे भारत में बने किसी अन्य एयरक्राफ्ट से भारी और विशाल बनाता है।
आईएनएस विक्रांत की असली ताकत सामने आती है समुद्र में, जहां इसकी अधिकतम स्पीड 28 नॉट्स तक है। यानी करीब 51 किमी प्रतिघंटा। इसकी सामान्य गति 18 नॉट्स यानी 33 किमी प्रतिघंटा तक है। ये एयरक्राफ्ट कैरियर एक बार में 7500 नॉटिकल मील यानी 13,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकता है।
इस एयरक्राफ्ट कैरियर की विमानों को ले जाने की क्षमता और इसमें लगे हथियार इसे दुनिया के कुछ खतरनाक पोतों में शामिल करते हैं। नौसेना के मुताबिक, ये युद्धपोत एक बार में 30 एयरक्राफ्ट ले जा सकता है। इनमें मिग-29के फाइटर जेट्स के साथ-साथ कामोव-31 अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर्स, एमएच-60आर सीहॉक मल्टीरोल हेलिकॉप्टर और एचएएल द्वारा निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं। नौसेना के लिए भारत में निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट- एलसीए तेजस भी इस एयरक्राफ्ट कैरियर से आसानी से उड़ान भर सकते हैं।
भारत में बने पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम आईएनएस विक्रांत रखा गया है। जबकि इससे पहले ब्रिटेन से खरीदे गए भारत के पहले विमानवाहक पोत- एच एम एस हरक्यूलीस का नाम भी आईएनएस विक्रांत ही रखा गया था। बताया जाता है कि इसके पीछे भारत का पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के प्रति प्यार और गौरव की भावना है। 1997 में सेवा से बाहर किए जाने से पहले आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तान के खिलाफ अलग-अलग मौकों पर भारतीय नौसेना को मजबूत रखने में अहम भूमिका निभाई थी। अब ये दारोमदार पूरी तरह से भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के कंधों पर होगी।