उत्तराखण्ड में 4.3 तीव्रता का भूकंप, देश में इस साल अब तक आ चुके हैं पांच भूकंप
देहरादूनः बीती देर रात उत्तराखण्ड के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किये गये। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रमा 4.3 मापी गई है। जिसका केन्द्र जोशी मठ से 44 किलोमीटर की दूरी पर बताया जा रहा है। चमोली जिले के अलावा देहरादून, मसूरी और बागेश्वर समेत राज्य के कुछ अन्य स्थानों पर भी भूकंप के झटके महसूस किये गये। हालांकि इससे किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।
रात 12 बजकर एक मिनट पर चमोली जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 4.3 थी। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक भूकंप का केंद्र जोशी मठ से 44 किलोमीटर की दूरी पर बताया गया है। लगभग 12.35 पर मसूरी, देहरादून और बागेश्वर में भी झटके महसूस किए गए। कई लोग खौफ से अपने घरों से बाहर निकल आए। मसूरी, देहरादून और बागेश्वर में लोगों को घरों की चीजें हिलती हुई दिखाई दीं। फिलहाल भूकंप से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई जानकारी नहीं मिली है।
बीती रात उत्तराखण्ड में आया यह भूकंप इस साल देश में आये भूकंपों में पांचवां है। इससे पहले 28 अप्रैल की सुबह गुवाहाटी समेत पूर्वोत्तर राज्यों में भूकंप का बड़ा झटका महसूस किया गया। जबकि इससे पहले 5 और 6 अप्रैल को भी 5.4 और 2.7 तीव्रता के भूकंप आ चुके हैं। वहीं 12 फरवरी को भारत के बड़े हिस्से में भूकंप के झटके महसूस किये गये थे। लगभग आधे भारत में इन झटकों को महसूस किया गया था। पिछले साल की बात करें तो पिछले साल एक जनवरी से 31 दिसंबर तक भारत की धरती 965 बार हिली थी। जो कि एक चैंकाने वाली बात है।
देश के विज्ञान, तकनीकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने खुद यह बात संसद में स्वीकार की थी। भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है। जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है। जबकि जोन-5 को सर्वाधिक खतरनाक जोन माना जाता है। उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से और दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है। जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।