उत्तराखंड का ऑक्सीजन कोटा तीन सौ मीट्रिक टन करने पर विचार करे केंद्र-हाईकोर्ट
नैनीताल- नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को लेकर महत्वपूर्ण आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई नौ जून की तिथि को भारत सरकार के अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने पर्वतीय इलाकों में टेस्टिंग बढ़ाने और राज्य में ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने के आदेश भारत सरकार को दिए हैं।
गुरुवार को अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसे शुक्रवार शाम को जारी किया है। कोर्ट ने निम्न दिशा निर्देश राज्य व केंद्र सरकार को दिए हैं।
1- दैनिक होने वाले कोविड टेस्ट की संख्या राज्य तेजी से बढ़ाये, क्योंकि आईसीएमआर के निर्देशों के अनुरूप राज्य सरकार टेस्ट की संख्या नहीं घटा सकती है।
2-केंद्र सरकार को आदेशित किया जाता है कि वह राज्य की ऑक्सीजन का कोटा 183 मीट्रिक टन से 300 मेट्रिक टन किए जाने पर गंभीरता से विचार करें।
3-केंद्र सरकार इस बात पर भी विचार करें कि उत्तराखंड का बहुत बड़ा हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र है, जहां पर निरंतर ऑक्सीजन की सप्लाई की आवश्यकता पड़ेगी, इसलिए राज्य सरकार द्वारा केंद्र को इस संबंध में की गई मांग जिसमें 10000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर , 10000 ऑक्सीजन सिलेंडर , 30 प्रेशर स्विंग ऑक्सीजन प्लांट तथा 200 सीएपी तथा 200 बाइपेप मशीन तथा एक लाख पल्स ऑक्सीमीटर की मांग है, इस पर केंद्र सरकार गंभीरता से निर्णय ले।
4-राज्य सरकार द्वारा केंद्र को किए गए इस निवेदन कि उसको अपनी ऑक्सीजन के कोटे का प्रयोग अपने ही उत्पादन से करने दिया जाए इस पर भी केंद्र सरकार एक सप्ताह में निर्णय ले।
5-राज्य सरकार को आदेशित किया जाता है कि वह चार ₹धाम के लिए जारी एसओपी का पालन गंभीरता से करे और इस बात को सुनिश्चित करें कि पुजारियों और स्थानीय श्रद्धालुओं की कोरोना से सुरक्षा हो सके।6- राज्य सरकार इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करें कि उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा दी गई संस्तुतियों और सुझावों का वह पूर्ण अनुपालन कर रही है।
7-राज्य सरकार को आदेशित किया जाता है कि 100 बेड का कोविड केयर सेंटर भवाली सैनिटोरियम में शीघ्रता से स्थापित करे।
8- राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को आदेशित किया जाता है कि वह उत्तराखंड का रेमडेसिवियर जी भर का कोटा निरंतर रूप से निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें।
9-केंद्र सरकार के अधिवक्ता को निर्देशित किया जाता है कि वह अगली तिथि तिथि पर भारत सरकार के मंत्रालय के सक्षम अधिकारी को जो कि उत्तराखंड सरकार के निवेदन पर निर्णय लेने में सक्षम हो या इस बात का स्पष्टीकरण दे सके कि उत्तराखंड के भेजे हुए निवेदन पर क्यों विचार नहीं हो रहा है, उसे कोर्ट के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित करें।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चैहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य व केंद्र सरकार तथा राज्य व केंद्रीय अफसरों के कामकाज, आदेशों का अनुपालन नहीं करने पर तल्ख टिप्पणी की थी। इस मामले में अगली सुनवाई नौ जून को होगी।
कोर्ट की टिप्पणी
हमारे जैसे अर्ध संघीय व्यवस्था में यह केंद्र सरकार का संवैधानिक दायित्व है कि वह राज्य सरकार के संरक्षण के लिए आगे आये लेकिन राज्य के पत्रों का केंद्र द्वारा जवाब तक न देना हैरानी भरा है। साथ ही कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि सरकार लगातार घटते टेस्ट की संख्या का कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाई। खासकर भीड़ भरे शहरों में कम टेस्ट होना हैरान करता है।