क्या कहता उत्तराखंड का है नया भू कानून, क्या थे पुराने नियम?
उत्तराखंड में जमीनों की खरीद के लिये सरकार ने भू-कानून में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर भूकानून के प्रावधानों में हुये बदलाव के बाद क्या बदलने जा रहा है। खासकर उत्तराखंड से बाहर के लोग अब जमीन खरीद पाएंगे? अगर खरीद पाएंगे तो कहां और कितनी, नये नियम क्या होंगे और पहले जमीन खरीद के नियम क्या थे? चलिये आपको सिलसिलेवार तरीके से हर जानकारी देते हैं-
सबसे पहले बात उन प्रावधानों की जिन्हें भू कानून में शामिल किया गया है।
पहला- त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के सभी प्रावधान निरस्त
यानी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा 2018 में जमीन खरीद को लेकर लागू किए गए सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध लग चुका है।
हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, उत्तराखंड के 11 अन्य जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
अब तक बाहर के लोग एग्रीकल्चर भूमि को खरीद सकते थे।
2003 में बाहरी व्यक्तियों के लिए आवासीय उपयोग के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद की सीमा तय थी। साथ ही 12.5 एकड़ तक कृषि भूमि खरीद की अनुमति देने का अधिकार डीएम को दिया गया।
2007 में बाहरी व्यक्तियों के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद की अनुमति घटाकर 250 वर्ग मीटर की गई।
2018 में व्यावसायिक और औद्योगिक प्रयोजन के लिए 12.5 एकड़ के दायरे को बढ़ाकर 30 एकड़ किया गया।
मौजूदा सरकार ने इसमें फिर बदलाव कर 12.5 एकड़ कर दिया था, कुछ महीनों पहले इस पर भी रोक लगा दी थी।
नये भू कानून में सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब जमीन खरीद को लेकर जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित कर दिये गये हैं।
-अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
-राज्य में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
-राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
निकाय क्षेत्र में बाहर के लोग 250 वर्ग मीटर की जमीन अभी भी खरीद सकते हैं, वो कृषि भूमि भी हो सकती है मगर कृषि भूमि में कृषि कार्य ही करना होगा।
इसके लिये शपथ पत्र जरूरी होगा जिसमें ये बताना होगा कि उस व्यक्ति के पास कहीं और जमीन है या नहीं, या परिवार के किसी और सदस्य के नाम कोई जमीन तो नहीं। इतना ही नहीं बाहर का व्यक्ति अपने जीवन में एक बार ही उत्तराखंड में 250 वर्ग मीटर की जमीन खरीद पाएगा। -नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
-यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वो जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।