Monday, February 17, 2025
उत्तराखंड

उत्तराखंड की गांधी को पद्दश्री, राधा बहन ने पर्यावरण संरक्षण के लिये समर्पित कर दिया पूरा जीवन

उत्तराखंड की राधा बहन भट्ट को भारत सरकार ने देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री के लिए चुना है। राधा बहन को ये सम्मान उनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और गांधीवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिये दिया जा रहा है।
राधा बहन भट्ट जिन्हें ‘पहाड़ की गांधी’ के नाम से जाना जाता है, वो सालों से पहाड़ों और उनके संसाधनों की रक्षा में जुटी हैं।
राधा बहन भट्ट का जन्म 17 अक्टूबर 1933 को अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में हुआ था। 12वीं तक की पढ़ाई के बाद राधा बहन ने गांधीवादी विचारधारा को अपनाया और पर्यावरण संरक्षण, महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में सक्रिय हो गईं। 1951 में वो कौसानी के लक्ष्मी आश्रम से जुड़ीं और यहां से उनका समाज सेवा का सफर शुरू हुआ। राधा बहन भट्ट ने 1957 में भूदान आंदोलन में भाग लिया और विनोबा भावे के साथ उत्तर प्रदेश और असम में लंबी पदयात्राओं का हिस्सा बनीं। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने ग्राम स्वराज, शराब विरोधी आंदोलन और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर जागरूकता फैलाई।
2006 से 2010 तक राधा बहन ने उत्तराखंड के हिमालय और नदियों के सर्वेक्षण में भी योगदान दिया। इस समय वे ‘नौला’ यानी जलस्रोत बचाव अभियान चला रही हैं, जिसका उद्देश्य कौसानी क्षेत्र के नालों को पुनर्जीवित करना है।
राधा बहन भट्ट को उनके कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें गांधीवादी विचारधारा के प्रसार के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार, गोदावरी गौरव, इंदिरा प्रियदर्शिनी पर्यावरण पुरस्कार, मुनि सतबल पुरस्कार और कुमाऊं गौरव पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें शांति के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया जा चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *