10 गैंडे भी अफोर्ड नहीं कर सकती उत्तराखण्ड सरकार, आर्थिक तंगी के चलते गैंडे लाने की योजना को किया गया रद्द
देहरादून- असम के जिन गैंडों को पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत उत्तराखण्ड लाना चाहते थे वो गैंडे अब उत्तराखण्ड नहीं आ पाएंगे। मौजूदा धामी सरकार ने पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत का एक और फैसला पलटते हुये उत्तराखण्ड में गैंडों को लाने का प्रस्ताव रद्द कर दिया है। जी हां आर्थिक बोझ और जनसुरक्षा के चलते कार्बेट टाइगर रिजर्व में अब असम से 10 गैंडे नहीं आएंगे। सरकार ने पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार में लिया गया यह अहम फैसला रद्द कर दिया है। हाल ही में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में 2019 में बोर्ड की 14वीं बैठक में गैंडे लाने के फैसले को रद्द किया गया है। इसके पीछे कई कारण गिनाए गए हैं। पहला बड़ा कारण आर्थिक पक्ष से जुड़ा हुआ है। दस गैंडे लाकर उन्हें रखने के लिए सालाना करीब चार करोड़ की राशि खर्च होगी। इन गैंडों की हिफाजत को विशेष फोर्स गठित करनी होगी, जिसका खर्च अलग से बढ़ जाएगा। क्योंकि गैंडों के सींग की तस्करी सबसे बड़ी चुनौती है। दस गैंडे आने के बाद सबसे बड़ी चुनौती असम की तर्ज पर उनकी सुरक्षा को ऐसी फोर्स बनाने की होगी, जो एके-47 से लैस रहती है। इससे भी सरकार का खर्च बढ़ जाएगा। दूसरा कारण बताया गया है मानव-वन्यजीव संघर्ष, उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चुनौती है। लाख कोशिश के बाद भी मानव-वन्यजीव संघर्ष में उत्तराखंड, देश के शीर्ष तीन राज्यो में शामिल है। यह माना गया है कि कार्बेट चारों ओर से गांवों से घिरा हुआ है। ऐेसे में जनहानि का खतरा भी बढ़ जाएगा। इन तामम कारणों के चलते उत्तराखण्ड में गैंडे लाने की योजना रद्द कर दी गई है। इसे वन्य जीव प्रेमियों के लिये झटका माना जा रहा है।