देहरादून-हर साल लाखों की संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने वाला उत्तराखण्ड अब अपने बेतहाशा सड़क हादसों के लिये बदनाम हो चुका है। यमुनोत्री हाईवे में हुये भीषण सड़क हादसे के बाद उत्तराखण्ड की सड़क सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई है। परिवहन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच साल में उत्तराखंड में 7993 हादसे हो चुके हैं, जिनमें 5028 लोगों की जान जा चुकी है। पांच साल का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में हर वर्ष औसतन 1500 के करीब सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और हर वर्ष 900 लोग मौत के मुह में समा जाते हैं। अब आप देखिये कैसे उत्तराखण्ड में साल दर साल सड़क हादसे बढ़ते चले गये हैं। उत्तराखण्ड में 2016 में 1591 सड़क दुर्घटना हुईं, जिनमें 962 लोग मारे गए। वहीं 2017 में 1603 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 942 लोग मारे गए, 2018 में 1468 सड़क दुर्घटना हुई, जिनमें 1047 लोग मरे, 2019 में 1353 दुर्घटनाओं में 886 लोगों की मौत हुई। 2020 में 1041 सड़क दुर्घटना में 674 की जान गई जबकि 2021 में 876 सड़क दुर्घटनाओं में 517 लोगों की मौत हुई। इस साल की शुरुआत में ही राज्य में 500 सड़क दुर्घटनों में अब तक 300 लोगों की जान जा चुकी है। उत्तराखण्ड के ये आंकड़े इसलिए भी भयावाह हैं क्योंकि जनसंख्या के लिहाज से हादसों और उसमें होने वाली मौतें देश में सबसे ज्यादा हैं। हिमालयी राज्य में आपदा से भी ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हो रही हैं। अमूमन अच्छी सड़कों पर हादसे कम होते हैं, लेकिन उत्तराखंड में स्थिति उलट है। यहां हादसे वहां ज्यादा हो रहे हैं जहां सड़कें सबसे अच्छी हैं। जोकि एक चौंकाने वाली बात है। चारधाम रूट की ही बात करें तो ऑल वेदर रोड बनने के बाद सड़कें काफी चौड़ी हो गई हैं, मगर हादसों में भी वैसा ही इजाफा हो रहा है।