यूकेएसएसएससी भर्ती घोटालाः चयनित युवाओं पर अब क्या निर्णय लेगी धामी सरकार?
उत्तराखण्ड में चौतरफा भर्ती घोटाले, जांच और एक के बाद एक हो रही गिरफ्तारियां, इन सब के बीच राज्य के हजारों हजार ऐसे युवा हैं जिनका भविष्य खतरे में आ गया है। स्नातक स्तरीय भर्तियों में चयनित हो चुके इन युवाओं की मांग है कि सरकार भर्तियों को रद्द करने के बजाए दोषियों की पहचान कर उन्हें दंडित करे और जो अपनी मेहनत के बूते परीक्षाओं में पास हुये हैं उन्हें नियुक्ति दे।
बीते दिन उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा में चयनित युवाओं ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकत की। इसके बाद सीएम धामी ने एक बयान जारी कर कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा में अपनी मेहनत के बल पर चयनित युवाओं को निराश नहीं किया जाएगा। जो युवा कड़ी मेहनत कर पास हुए हैं सरकार उनका ख्याल रखेगी। युवाओं ने इस दौरान मुख्यमंत्री से अनुरोध किया जल्द से जल्द उन्हें नियुक्ति दी जाए। सरकार चाहे तो वो शपथ पत्र देने को भी तैयार हैं कि यदि भर्ती गड़बड़ी में उनकी कहीं संलिप्तता पाई जाती है तो उन्हें तत्काल बर्खास्त कर दिया जाए। पिछले कई दिनों से सड़कों पर आंदोलन कर रहे चयनित युवाओं को सीएम के इस आश्वासन से बड़ी राहत मिली है।
लेकिन अब सवाल है कि सरकार आगे क्या करने जा रही है-
सूत्रों के मुताबिक सीएम पुष्कर सिंह धामी चाहते हैं कि परीक्षाओं में धांधली करने वालों को किसी भी हाल बख्शा न जाए। लेकिन साथ ही सीएम धामी इस बात से बेहद चिंतित हैं कि योग्य और मेहनती चयनित युवाओं का कोई अहित न हो जाए। लिहाजा हमारे सूत्र बता रहे हैं कि इस मसले पर सरकार फिलहाल दो विकल्पों पर विचार कर रही है- पहला… परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों से शपथ पत्र लिया जाए और उन्हें नियुक्ति दे दी जाए। यदि किसी अभ्यर्थी की गड़बड़ी में संलिप्तता पाई जाती है तो उस पर भविष्य में कानूनी कार्यवाई की जाए।
दूसरा विकल्प है कि फिलहाल यूकेएसएस एससी भर्ती घोटाले की जांच पूरी होने दी जाए और इसके बाद सरकार नियुक्ति देन पर विचार करे।
अब यहां ये भी बेहद महत्वपूर्ण है कि अगर मामला अदालत तक पहुंचा तब क्या होगा। देश के तमाम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक में नकल संबंधी ऐसे कई मामले आये हैं जहां परीक्षाओं को या तो रद्द करने की मांग की गई या बरकरार रखने की मांग हुई। ऐसी तमाम याचिकाओं पर कोर्ट ने केस की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुये अपने फैसले दिये हैं। मसलन 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने नकल के आरोप पर नीट-यूजी परीक्षा को रद्द करने की मांग वाली एक याचिका को ये कहते हुये खारिज कर दिया कि मामले में सिर्फ पांच एफआईआर दर्ज होने के कारण हम उस परीक्षा को रद्द करने के आदेश नहीं दे सकते, जिसमें करीब साढे सात लाख विद्यार्थी शामिल हुये थे। ऐसा ही एक मामला है जब 2015 में सामने आया जब सुप्रीम कोर्ट ने एआई पीएमटी परीक्षा को पेपर लीक के चलते स्थगित कर दिया था। यानी की उत्तराखण्ड में हुये भर्ती घोटाले में अदालत क्या रूख अपनाएगी ये देखना भी दिलचस्प होगा।