ईमानदार छवि तेज तर्रार कार्यशैली पूर्व आईपीएस गणेश मर्तोलिया को उत्तराखण्ड सरकार ने बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा है। गणेश मर्तोलिया को यूकेएसएसएससी का अध्यक्ष बनाया गया है। सीमांत क्षेत्र पिथौरागढ़ के दूरस्थ गांव मर्ताेली के गणेश सिंह मर्ताेलिया ने तमाम चुनौतियों का सामना कर सफलता हासिल की है। चाहे भीड़ नियंत्रण हो या फिर आपदा, सुरक्षा प्रबंधन। हर मोर्चे पर उन्होंने अपना परचम लहराया है। 2019 में सेवानिवृत होने के बावजूद आइपीएस मर्ताेलिया सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। यही कारण रहा है कि सरकार ने पहले उन्हें अनुसूचित जनजाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया और अब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग जैसी महत्वपूर्ण कुर्सी सौंप दी है। 63 वर्षीय मर्ताेलिया ने बीएससी, एमए करने के बाद 1984 में स्टेट पुलिस सर्विस ज्वाइन की। और वो साल 1998 में आइपीएस बने। 35 वर्षों की पुलिस सेवा में मर्ताेलिया नौ जिलों में एसपी, दो बार पीएसी के कमांडेंट, पांच जिलों में एसएसपी, दो रेंज के डीआइजी और फिर आइजी बने। साल 2019 में इसी पद से वो सेवानिवृत हुए। पुलिस सेवा के दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें वर्ष 1999 में राष्ट्रपति का पुलिस मेडल, 2013 में केदारनाथ आपदा के दौरान बेहतरीन सेवा के लिए मुख्यमंत्री मेडल भी मिल चुका है। यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष बनाए गए गणेश सिंह मर्ताेलिया की राह आसान नहीं है। तमाम चुनौतियां हैं। जिस तरीके से आयेाग के उच्चाधिकारियों पर नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं। आयोग के तमाम अधिकारियों के साथ ही पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत की गिरफ्तारी तक हो चुकी है। साथ ही इनसे अधिकांश परीक्षाओं की जिम्मेदारी छीन ली गई है और आयोग को शक की निगाह से देखा जाने लगा है। ऐसे में नवनियुक्त अध्यक्ष के सामने आयोग की छवि को फिर से बेहतर करने की बड़ी चुनौती है।